संता सिंह घनघोर शराबी था, लेकिन भगवान शिव का परम भक्त भी था...
रोज़ शाम को दारू पीकर धुत हो जाने के बाद मोहल्ले के शिव मंदिर में जाकर भगवान की बड़ी-सी मूर्ति से घंटों बतियाता रहता, और देर रात ही घर लौटता...
मंदिर के पुजारी जी को संता की यह हरकत पसंद नहीं थी, लेकिन कई बार टोकने के बावजूद संता के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी...
तब एक दिन दारूबाज संता को चकमा देने के लिए पुजारी जी ने संता के पहुंचने से पहले भगवान शिव की मूर्ति हटाकर उसके स्थान पर भगवान गणेश की मूर्ति रख दी...
रोज़ की तरह संता सिंह पूरी तरह धुत हालत में मंदिर पहुंचा, और वहां भगवान शिव की जगह गणेश की मूर्ति देखकर बहुत हैरान हुआ...
कुछ देर तक इधर-उधर देखने के बाद मूर्ति के नज़दीक जाकर धीरे-से बोला, "ओए पप्पू, तेरे पापा कित्थे हैं...?"
चुटकुला ऐसी संज्ञा है, जिससे कोई भी अपरिचित नहीं... हंसने-हंसाने के लिए दुनिया के हर कोने में इसका प्रयोग होता है... खुश रहना चाहता हूं, खुश रहना जानता हूं, सो, चुटकुले लिखने-पढ़ने और सुनने-सुनाने का शौकीन हूं... कुछ चुनिंदा चुटकुले, या हंसगुल्ले, आप लोगों के सामने हैं... सर्वलोकप्रिय श्रेणियों 'संता-बंता', 'नॉनवेज चुटकुले', 'पति-पत्नी' के अलावा कुछ बेहतरीन हास्य कविताएं और मेरी अपनी श्रेणी 'शरारती सार्थक' भी पढ़िए, और खुद को गुदगुदाइए...
Wednesday, December 09, 2009
भगवान से बातचीत...
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