Friday, December 11, 2009

इश्क और शायरी...

कर दिया इश्क ने नाकिस, वरना चांद पर जाता...
तुम्हारी मांग भरने को, सितारे तोड़कर लाता...
बहा डाले तुम्हारी याद में, आंसू कई गैलन...
अगर तुम मिलने न आतीं, यहां सैलाब आ जाता...
तुम्हारे नाम के ख़त सब, तुम्हारे बाप ने खोले...
उसे उर्दू अगर आती, तो वो कच्चा चबा जाता...
तुम्हारी ही जफा से मैं बना हूं, टॉप का शायर...
तुम्हारे इश्क में रहता, तो सीधा आगरा जाता...

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