संता सिंह ने तोता पाला हुआ था, जिसका पिंजरा वह रोज़ाना घर के दरवाज़े पर रख दिया करता था...
तोता सड़क से गुज़रने वाले हर व्यक्ति को नमस्कार करता था, लेकिन बंता के सामने पड़ते ही गालियां देना शुरू कर दिया करता था, "लो आ गया कमीना... बेहद घटिया आदमी आया है, सभी दूर हो जाओ..."
बंता को हमेशा गुस्सा आता था, और वह तोते को घूरकर डांटते हुए चला जाता था, "बदतमीज़, चुप कर..."
तोता बाज़ नहीं आया, और उसकी हरकत कभी नहीं रुकी...
आखिरकार एक दिन परेशान होकर बंता ने संता से तोते की शिकायत की, और संता ने तोते को बहुत फटकारा, और धमकाया, "अगर तूने आइंदा कभी भी गाली-गलौज की, तो तुझे उठाकर घर से बाहर फेंक दूंगा..."
अगले दिन बंता बहुत शान से संता के घर के सामने से तोते को घूरते हुए गुज़रा, और उसकी खुशी का ठिकाना न रहा, जब तोता कुछ न बोला...
बंता ने घर पार होते ही तोते की ओर पलटकर देखा...
तोता तुरन्त हंसा, और ज़ोर से बोला, "समझ तो तू गया ही होगा..."
हा हा हा ...
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