Friday, December 11, 2009

सार्थक, संता और केले के छिलके...

संता सिंह के पड़ोस में रहने वाले शरारती सार्थक ने एक दिन सड़क पर केले का छिलका डाल दिया, जिस पर पांव पड़ने से संता धड़ाम से गिरे...

अगले दिन भी सार्थक ने यही किया, लेकिन संता ने छिलका पहले ही देख लिया, और सोच में पड़ गए...

सार्थक ने संता से पूछा, "अंकल, आप क्या सोच रहे हो...?"

संता ने जवाब दिया, "बेटे, आज फिर गिरना पड़ेगा..."

...और संता फिर गिर गए...

अगले दिन उन्होंने सड़क पर दो छिलके पड़े देखे, और फिर सोच में पड़ गए...

सार्थक के फिर से सवाल करने पर बोले, "मैं सोच रहा हूं, इस पर गिरूं या उस पर..."

...और अगले दिन संता को बहुत-से छिलके दिखे, सो, बिना सोचे उन्होंने पत्नी को फोन किया, और बोले, "मेरी जान, मैं आज घर देर से आऊंगा..."

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