Monday, August 02, 2010

गुप्ता जी मृत्युशैया पर...

हमारे गुप्ता जी अपनी कंजूसी के लिए जाने जाते हैं, जिनसे जुड़े कुछ चुटकुले मेरी मित्र पूजा गोयल ने मुझे भेजे थे... सो, आज से यह नई शृंखला 'गुप्ता जी' शुरू कर रहा हूं... आशा करता हूं, आप पसंद करेंगे...

गुप्ता जी (मृत्युशैया पर) : कहां हो, भाग्यवान...?

पत्नी (तपाक से) : यहीं हूं, प्राणनाथ...

गुप्ता जी : मेरे बेटे-बहुएं भी मेरे पास ही हैं क्या...?

बेटे-बहुएं (समवेत स्वर में) : जी पिताजी, हम सब आपके पास ही हैं...

गुप्ता जी (गुस्से में) : फिर बगल वाले कमरे का पंखा क्यों चला छोड़ रखा है, बेवकूफों...?

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