हमारे गुप्ता जी अपनी कंजूसी के लिए जाने जाते हैं, जिनसे जुड़े कुछ चुटकुले मेरी मित्र पूजा गोयल ने मुझे भेजे थे... सो, आज से यह नई शृंखला 'गुप्ता जी' शुरू कर रहा हूं... आशा करता हूं, आप पसंद करेंगे...
गुप्ता जी के पिता का देहावसान हो गया...
विज्ञापन छपवाने के लिए उन्होंने अख़बार के दफ्तर में फोन किया और पूछा : मेरे पिताजी गुज़र गए हैं, विज्ञापन छपवाने के कितने पैसे लगेंगे...?
जवाब मिला : 50 रुपये प्रति शब्द...
गुप्ता जी ने तुरंत कहा : बहुत ज़्यादा हैं... अच्छा लिखिए, पिताजी गुज़र गए...
फिर आवाज़ आई : सर, कम से कम छह शब्द होने ज़रूरी हैं...
गुप्ता जी फिर बोले : ओह... ऐसा है क्या... अच्छा लिखिए, पिताजी गुज़र गए, मारुति बिकाऊ है...
चुटकुला ऐसी संज्ञा है, जिससे कोई भी अपरिचित नहीं... हंसने-हंसाने के लिए दुनिया के हर कोने में इसका प्रयोग होता है... खुश रहना चाहता हूं, खुश रहना जानता हूं, सो, चुटकुले लिखने-पढ़ने और सुनने-सुनाने का शौकीन हूं... कुछ चुनिंदा चुटकुले, या हंसगुल्ले, आप लोगों के सामने हैं... सर्वलोकप्रिय श्रेणियों 'संता-बंता', 'नॉनवेज चुटकुले', 'पति-पत्नी' के अलावा कुछ बेहतरीन हास्य कविताएं और मेरी अपनी श्रेणी 'शरारती सार्थक' भी पढ़िए, और खुद को गुदगुदाइए...
Monday, August 02, 2010
गुप्ता जी को पितृशोक...
कीवर्ड अथवा लेबल
Jokes,
Vivek Rastogi,
गुप्ता जी,
चुटकुले,
देहांत,
पिता,
विज्ञापन,
विवेक रस्तोगी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बढिया
ReplyDeleteधन्यवाद, अन्तर भाई... :-)
ReplyDelete