शरारती सार्थक अपने पिता के साथ बरेली से घर आ रही अपनी मम्मी को लेने के लिए रेलवे स्टेशन गया...
वहां ट्रेन का इंतज़ार करने के दौरान सार्थक की निगाह एक लड़की पर पड़ी, जो वज़न करने वाली मशीन पर खड़ी थी...
सार्थक के देखते-देखते लड़की ने मशीन में सिक्का डाला, और टिकट आई, "50 किलोग्राम"...
उसके बाद लड़की ने अपना हैण्डबैग एक किनारे पर रख दिया, और फिर सिक्का डाला, वज़न आया, "49 किलोग्राम"...
अब भी लड़की चैन नहीं आया, उसने अपने सैंडल उतारे, फिर सिक्का डाला, वज़न आया, "48 किलोग्राम"...
अब लड़की ने अपनी जैकेट भी उतारकर सिक्का डाला, वज़न आया, "47 किलोग्राम"...
इसके बाद लड़की ने अपना दुपट्टा भी उतार दिया, सिक्का डाला, वज़न आया, "46 किलोग्राम"...
इसके बाद लड़की ने बेचैनी से अपने पर्स में हाथ डाला, लेकिन अफसोस, सिक्के खत्म हो गए थे...
सार्थक ने तपाक से कहा, "मैडम, आप परेशान न हों, आप जारी रखें, सिक्के मैं डालता रहूंगा..."
वहां ट्रेन का इंतज़ार करने के दौरान सार्थक की निगाह एक लड़की पर पड़ी, जो वज़न करने वाली मशीन पर खड़ी थी...
सार्थक के देखते-देखते लड़की ने मशीन में सिक्का डाला, और टिकट आई, "50 किलोग्राम"...
उसके बाद लड़की ने अपना हैण्डबैग एक किनारे पर रख दिया, और फिर सिक्का डाला, वज़न आया, "49 किलोग्राम"...
अब भी लड़की चैन नहीं आया, उसने अपने सैंडल उतारे, फिर सिक्का डाला, वज़न आया, "48 किलोग्राम"...
अब लड़की ने अपनी जैकेट भी उतारकर सिक्का डाला, वज़न आया, "47 किलोग्राम"...
इसके बाद लड़की ने अपना दुपट्टा भी उतार दिया, सिक्का डाला, वज़न आया, "46 किलोग्राम"...
इसके बाद लड़की ने बेचैनी से अपने पर्स में हाथ डाला, लेकिन अफसोस, सिक्के खत्म हो गए थे...
सार्थक ने तपाक से कहा, "मैडम, आप परेशान न हों, आप जारी रखें, सिक्के मैं डालता रहूंगा..."
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