जीतो की शादी संता सिंह के साथ हुई, और जब अपने मायके से विदा होकर वह संता के घर पहुंची, तो संता की मां ने प्यार जताते हुए कहा, "बेटी, तू मेरी बहू नहीं, बेटी ही है... आज से तू मुझे अपनी मां और अपने ससुर को पिता समझना..."
थोड़ी देर बाद घर की घंटी बजी, और जीतो ने जाकर दरवाज़ा खोला...
संता सिंह अपने दोस्तों से विदा लेकर घर लौटा था...
तभी अन्दर से सास की आवाज़ आई, "बेटी, कौन आया है...?"
जीतो ने तपाक से जवाब दिया, "मां, भैया आए हैं..."
चुटकुला ऐसी संज्ञा है, जिससे कोई भी अपरिचित नहीं... हंसने-हंसाने के लिए दुनिया के हर कोने में इसका प्रयोग होता है... खुश रहना चाहता हूं, खुश रहना जानता हूं, सो, चुटकुले लिखने-पढ़ने और सुनने-सुनाने का शौकीन हूं... कुछ चुनिंदा चुटकुले, या हंसगुल्ले, आप लोगों के सामने हैं... सर्वलोकप्रिय श्रेणियों 'संता-बंता', 'नॉनवेज चुटकुले', 'पति-पत्नी' के अलावा कुछ बेहतरीन हास्य कविताएं और मेरी अपनी श्रेणी 'शरारती सार्थक' भी पढ़िए, और खुद को गुदगुदाइए...
Monday, December 07, 2009
भैया आए हैं...
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