एक युगल की शादी को कई साल हो गए, लेकिन उनके घर बच्चा न हुआ...
डॉक्टरों-हकीमों की भी मदद ली, लेकिन व्यर्थ...
आखिरकार, वे ईश्वर की सहायता लेने के उद्देश्य से एक साधु के पास पहुंचे...
साधु ने उनकी व्यथा सुनकर द्रवित होते हुए आश्वासन दिया, "बेटे, तुम बिल्कुल सही समय पर आए हो... मैं कुछ वर्ष के लिए तपस्या करने हिमालय पर्वत पर जा रहा हूं... उसी तपस्या के दौरान मैं तुम दोनों के लिए भी एक दीपक जलाऊंगा, जिससे तुम्हें अवश्य ही संतान प्राप्त होगी..."
लगभग 15 वर्ष बाद तपस्या के समापन पर जब साधु महाराज लौटे, उस दंपति का हाल जानने के लिए उनके घर पहुंचे...
जैसे ही दरवाजा खुला, साधु ने देखा कि लगभग एक दर्जन बच्चे आंगन में धमा-चौकड़ी कर रहे हैं और हैरान-परेशान-सी वही महिला उनके बीच खड़ी है...
साधु ने महिला से पूछा, "बेटी, क्या ये सब तुम्हारे ही बच्चे हैं...?"
महिला ने प्रणाम कर जवाब दिया, "जी महाराज..."
साधु बोला, "प्रभु को कोटि-कोटि धन्यवाद... मेरी तपस्या सफल हुई... अच्छा, यह बताओ, तुम्हारे पति दिखाई नहीं दे रहे, कहां गए हैं...?"
महिला ने जानकारी दी, "महाराज, वह हिमालय पर्वत पर गए हैं..."
साधु ने हैरान होकर पूछा, "वह हिमालय पर्वत पर क्या करने गए हैं...?"
महिला ने उत्तर दिया, "जो दीपक आपने जलाया था, उसे बुझाने के लिए..."
चुटकुला ऐसी संज्ञा है, जिससे कोई भी अपरिचित नहीं... हंसने-हंसाने के लिए दुनिया के हर कोने में इसका प्रयोग होता है... खुश रहना चाहता हूं, खुश रहना जानता हूं, सो, चुटकुले लिखने-पढ़ने और सुनने-सुनाने का शौकीन हूं... कुछ चुनिंदा चुटकुले, या हंसगुल्ले, आप लोगों के सामने हैं... सर्वलोकप्रिय श्रेणियों 'संता-बंता', 'नॉनवेज चुटकुले', 'पति-पत्नी' के अलावा कुछ बेहतरीन हास्य कविताएं और मेरी अपनी श्रेणी 'शरारती सार्थक' भी पढ़िए, और खुद को गुदगुदाइए...
Tuesday, December 08, 2009
जल गया दीपक...
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