पतिदेव : आज रात के खाने में क्या बना रही हो, जानेमन...?
पत्नी : जो आप कहें...
पतिदेव : अरहर की दाल और चावल बना लो...
पत्नी : अभी कल ही तो खाए थे...
पतिदेव : तो फिर मटर-पनीर की सब्ज़ी और रोटी बना लो...
पत्नी : आपके बच्चे नहीं खाते मटर-पनीर...
पतिदेव : अच्छा, फिर छोले-पूरी बना लो...
पत्नी : नहीं, नहीं... मुझे बहुत हैवी-हैवी लगता है...
पतिदेव : एक काम करो, अण्डा-आलू बना लो...
पत्नी : फिर सुबह नाश्ते में क्या खाओगे...?
पतिदेव : तो आलू के परांठे ही खिला दो...
पत्नी : रात के वक्त परांठे कौन खाता है...?
पतिदेव : फिर होटल से ही मंगवा लेते हैं...
पत्नी : रोज़-रोज़ बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए न...?
पतिदेव : कढ़ी-चावल बना सकती हो...?
पत्नी : खट्टा दही नहीं है, सो, वह भी नहीं बन सकती...
पतिदेव : मसाला डोसा और सांभर...?
पत्नी : हाथ के हाथ कैसे बना दूं... पहले बोलना चाहिए था, बहुत वक्त लगता है तैयारी में...
पतिदेव : यार, एक काम करो, मैगी ही बना दो...
पत्नी : वह कोई खाना है... उससे पेट कहां भरता है...?
पतिदेव : तो फिर तुम ही बताओ, क्या बनाने का इरादा है...?
पत्नी : जो आप कहें...
हा-हा-हा
ReplyDeleteसुबह-सुबह मजा आ गया
प्रणाम
वाह सर बहुत खूब:)
ReplyDeleteसादर
अन्तर भाई, यशवन्त भाई, धन्यवाद... :-)
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