किसी गांव में एक बेहद भला लड़का रहता था, जिसकी सबसे बड़ी समस्या यही थी कि उसकी शादी के पांच साल बाद भी उसके कोई संतान नहीं थी...
पचास-पचास कोस दूर तक के गांवों में वह लड़का अपनी भलाई और परोपकारी स्वभाव की वजह से मशहूर था, सो, सभी गांवों की पंचायतों ने मिलकर दूर हिमालय से एक साधु उसकी समस्या के निराकरण के लिए बुलाया...
साधु ने समस्या का बेहद विचित्र-सा इलाज बताया कि यदि कोई युवती मां बनने के एक वर्ष के भीतर इस लड़के को अपना दूध पिलाए, तो यह पिता बन सकेगा...
सभी गांववाले बेहद निराश हो गए, क्योंकि गांवों के परंपरागत समाज में ऐसी महिला का मिलना लगभग असंभव था, फिर भी लड़के से प्रभावित पंचायतों ने कोशिश नहीं छोड़ी और बहुत दूर-दूर के गांवों में मुनादी करवा दी...
एक दिन अचानक एक युवा विधवा ने पंचायत से संपर्क किया, जिसके पति का एक दुर्घटना में देहांत हो गया था, और वह लड़के की भलाई की कहानियों से प्रभावित होकर उसके इलाज में सहयोग देने के लिए तैयार थी...
अब पंचायत ने लड़के को इस युवती के विषय में बताया, तो वह झिझकने लगा, बोला, "मैं विवाहित होकर किसी पराई महिला के शरीर को इस प्रकार कैसे छू सकता हूं...?"
पंचों ने उसे मनाने की कोशिश की, लेकिन व्यर्थ...
फिर उस लड़के की पत्नी ने भी उसे समझाया, "देखिए, यह शादी में बेईमानी नहीं कहलाएगी, क्योंकि आप वहां जो कुछ भी करेंगे, वह आपके इलाज का हिस्सा होगा..."
अंततः लड़का मान गया, और तय किए गए दिन युवती के घर पहुंच गया...
युवती ने उसे देखते ही मुस्कुराकर उसका स्वागत किया, लेकिन लड़का अब भी झिझक रहा था...
युवती ने उसकी झिझक देखकर अपने कपड़े खुद ही उतार दिए, और उसके करीब आकर बैठ गई, और बोली, "अब आप वह कर लीजिए, जो पिता बनने के लिए ज़रूरी बताया गया है..."
लड़के ने आभार व्यक्त करते हुए कहा, "आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, देवीजी..."
झिझकते हुए ही लड़के ने युवती के करीब जाकर काम शुरू किया, और कुछ ही पलों में युवती की इच्छाएं जागने लगीं, और वह अधखुली आंखों के साथ लड़के से बोली, "कुछ और चाहिए...?"
लड़के ने तुरंत अपना सिर उठाया और हाथ जोड़कर बोला, "देवीजी... मुझ पर आप जो उपकार कर रही हैं, उसका बदला मैं और मेरा परिवार सारी उम्र नहीं चुका सकता... हमारे लिए आपकी इस मेहरबानी को हम कभी नहीं भूल पाएंगे..."
युवती ने मुंह बनाकर कहा, "अच्छा, अच्छा... ठीक है... तुम अपना काम जारी रखो..."
लड़के ने दोबारा काम शुरू किया, लेकिन युवती को सब्र कहां...
कुछ ही पल के बाद पहले से भी ज़्यादा मीठी आवाज़ में लड़के से बोली, "कुछ भी ज़रूरत हो, बता देना..."
लड़के ने फिर सिर उठाकर पहले वाली कहानी शुरू कर दी, "देवीजी... आपके इस एहसान के लिए मेरा परिवार ताउम्र आपका कर्ज़ाई रहेगा..."
युवती ने फिर से निराश होकर कहा, "तुम काम जारी रखो..."
लड़के ने एक बार शर्माते हुए सिर को झुकाया और शुरू हो गया, लेकिन कुछ ही पल बाद युवती बेकाबू-सी होने लगी और बहुत प्यार से बोली, "देखो, शर्माओ मत, जो भी चाहिए,मांग लो, मैं इंकार नहीं करूंगी..."
लड़के ने फिर सिर उठाया, और शांत स्वर में बोला, "अब आप इतनी ज़िद कर रही हो, तो दो बिस्कुट ला दो..."

चुटकुला ऐसी संज्ञा है, जिससे कोई भी अपरिचित नहीं... हंसने-हंसाने के लिए दुनिया के हर कोने में इसका प्रयोग होता है... खुश रहना चाहता हूं, खुश रहना जानता हूं, सो, चुटकुले लिखने-पढ़ने और सुनने-सुनाने का शौकीन हूं... कुछ चुनिंदा चुटकुले, या हंसगुल्ले, आप लोगों के सामने हैं... सर्वलोकप्रिय श्रेणियों 'संता-बंता', 'नॉनवेज चुटकुले', 'पति-पत्नी' के अलावा कुछ बेहतरीन हास्य कविताएं और मेरी अपनी श्रेणी 'शरारती सार्थक' भी पढ़िए, और खुद को गुदगुदाइए...
Wednesday, January 20, 2010
बेऔलाद भला लड़का, और इलाज...
कीवर्ड अथवा लेबल
Jokes,
Vivek Rastogi,
इलाज,
चुटकुले,
नॉनवेज,
पराई महिला,
बिस्कुट,
विवेक रस्तोगी,
सेक्सी चुटकुले
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
kya baat hai
ReplyDeletereadable/enjoyable
ReplyDeleteThanks Isha...
ReplyDelete