Monday, October 25, 2010

संता सिंह, और साफ रास्ता...

संता सिंह और उसकी पत्नी अपने बेडरूम में आराम से सो रहे थे, और अचानक रात को दो बजे फोन की घंटी बजी...

दोनों की नींद खुल गई, संता ने फोन उठाया, इससे पहले कि वह कुछ कह पाता, दूसरी तरफ से आवाज़ आनी शुरू हो गई, संता सुनता रहा, और अचानक चीखकर बोला, "साले, मैं क्या म्यूनिसिपैलिटी में काम करता हूं..."

जब चीख-चिल्लाकर संता ने फोन पटक दिया, पत्नी ने प्यार से पूछा, "कौन था, जानू...?"

संता ने उखड़े सुर में जवाब दिया, "पता नहीं, कौन कमीना था... साला, मुझसे पूछ रहा था, रास्ता साफ है क्या...?"

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

कौन हूं मैं...

मेरी पहेलियां...

मेरी पसंदीदा कविताएं, भजन और प्रार्थनाएं (कुछ पुरानी यादें)...

मेरे आलेख (मेरी बात तेरी बात)...