शरारती सार्थक को सब्ज़ी लेने बाज़ार भेजा गया, और कंधे पर एक थैला लटकाए भाईसाहब पहुंच गए हरी सब्ज़ियां बेचने वाले की दुकान पर...
सब्ज़ी वाले ने दुकान तभी लगाई ही थी, सो, वह सब्ज़ियों पर लगातार पानी छिड़क रहा था...
जब दो मिनट से भी ज़्यादा बीत गए और सब्ज़ी वाले का पानी छिड़कना बंद नहीं हुआ, तो सार्थक से रहा नहीं गया और वह बोला, "भाई, सब्ज़ियां होश में आ गई हों, तो दो किलो पालक तोल देना..."
बहुत बढ़िया, रस्तोगीजी
ReplyDeleteShukriya, Mahaveer bhai... :-)
Delete