नदी किनारे घूमते हुए संता सिंह ने शरारती सार्थक को देखा, जो सभी को अपनी शरारतों से परेशान कर रहा था...
सबक सिखाने के लिए संता ने सार्थक को रोककर सवाल किया, "तुम्हें तैरना आता है, बेटे...?"
सार्थक ने जवाब दिया, "नहीं अंकल, मुझे तैरना नहीं आता..."
संता सिंह ने हंसते हुए कहा, "हर कुत्ते तक को तैरना आता है, इसलिए तुम तो कुत्ते से भी गए-गुज़रे हो..."
सार्थक के चेहरे पर शिकन तक नहीं आई, और पलटकर सवाल दागा, "अंकल, क्या आपको तैरना आता है...?"
संता ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "हां, बिल्कुल आता है..."
अब सार्थक ने तपाक से जवाब दिया, "तब तो आपमें और कुत्ते में कोई फर्क ही नहीं है..."
सबक सिखाने के लिए संता ने सार्थक को रोककर सवाल किया, "तुम्हें तैरना आता है, बेटे...?"
सार्थक ने जवाब दिया, "नहीं अंकल, मुझे तैरना नहीं आता..."
संता सिंह ने हंसते हुए कहा, "हर कुत्ते तक को तैरना आता है, इसलिए तुम तो कुत्ते से भी गए-गुज़रे हो..."
सार्थक के चेहरे पर शिकन तक नहीं आई, और पलटकर सवाल दागा, "अंकल, क्या आपको तैरना आता है...?"
संता ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "हां, बिल्कुल आता है..."
अब सार्थक ने तपाक से जवाब दिया, "तब तो आपमें और कुत्ते में कोई फर्क ही नहीं है..."
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