Monday, December 21, 2009

ट्रक ड्राइवर, पादरी और वकील साहब...

ट्रक ड्राइवर संता सिंह के रोज़मर्रा के रास्ते में एक अदालत आती थी, और भगवान जाने क्यों, लेकिन वह वकीलों से बहुत चिढ़ता था...

उसकी रोज़ की आदत में शुमार था, कि वह सड़क पर टहल रहे कम से कम एक वकील को ट्रक से टक्कर ज़रूर मारता था, और ट्रक को भगा ले जाता था...

एक दिन संता को एक पादरी अदालत से कुछ पहले नज़र आए, जिन्हें चलने में कुछ तकलीफ थी, सो, भला काम करने के इरादे से ट्रक ड्राइवर ने उन्हें बिठा लिया...

अदालत आने पर उसने आदत के मुताबिक एक वकील से टकराने के लिए ट्रक को सड़क के किनारे लिया, लेकिन तुरंत ही अपने सहयात्री की याद आते ही ट्रक को वापस सड़क के बीच की ओर घुमा दिया, ताकि वकील बच जाए...

लेकिन उसे फिर भी 'धड़ाम' की एक ज़ोरदार आवाज़ सुनाई दी, और जब उसने रियरव्यू मिरर में देखा, तो वकील को सड़क पर लोटते पाया...

संता ने तुरंत शर्मिन्दगी के भाव चेहरे पर लाकर पादरी से पूछा, "मेरे हिसाब से तो वकील को बच जाना चाहिए था..."

पादरी ने तुरंत कहा, "मुझे भी यही लगा था, सो, मैंने उसके पास आते ही ट्रक का दरवाज़ा खोल दिया था..."

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

कौन हूं मैं...

मेरी पहेलियां...

मेरी पसंदीदा कविताएं, भजन और प्रार्थनाएं (कुछ पुरानी यादें)...

मेरे आलेख (मेरी बात तेरी बात)...