Tuesday, December 22, 2009

सिर्फ 24 घंटे...

संता सिंह सुबह-सुबह अपने डॉक्टर के पास से बेहद उदास लौटता है...

उसकी पत्नी जीतो के पूछने पर उसे बताता है कि डॉक्टर के मुताबिक वह सिर्फ 24 घंटे और ज़िन्दा रहने वाला है...

जीतो के होश उड़ जाते हैं, लेकिन पति के आखिरी समय में उसे खुश रखने के उद्देश्य से वह मुस्कुराकर कहती है, "कोई बात नहीं, जानू... हम दोनों आज अपने-अपने दफ्तर से छुट्टी ले लेते हैं, और इस एक दिन को अपनी शादीशुदा जिन्दगी का सबसे यादगार दिन बना देंगे..."

संता भी खुश होने की कोशिश करते हुए जीतो को सीने से लगाकर कहता है, "शुक्रिया, मेरी जान... क्यों न हम एक बार वह काम कर लें, जो हमें बहुत आनंद देता है...?"

जीतो भी तुरंत तैयार हो जाती है, और दोनों बेडरूम में चले जाते हैं...

आधे घंटे बाद जीतो अस्त-व्यस्त हालत में बेडरूम से बाहर आकर रसोई में चली जाती है, और संता की पसंद के कई पकवान बनाना शुरू कर देती है...

लेकिन दो घंटे बाद ही संता फिर जीतो के पास पहुंचकर कहता है, "तुम बहुत खूबसूरत हो, मेरी जान... मेरा दिल ही नहीं भरता, और हर समय तुमसे प्यार करते रहना चाहता हूं..."

जीतो उसका इशारा समझकर मुस्कुराती है, और दोनों एक बार फिर बेडरूम में चले जाते हैं...

आधे घंटे बाद बाहर आकर वह डाइनिंग टेबल पर खाना परोसकर अपने पति को बुलाने जाती है, और संता को बहुत प्यार से अपने हाथों से निवाले खिलाती है...

खाना खाकर कुछ देर आराम करने के इरादे से जब दोनों फिर बेडरूम में पहुंचते है, संता की फिर से प्यार करने की इच्छा हो उठती है, और जीतो भी एक बार फिर अपने पति का दिल रखने के लिए मान जाती है...

दो-तीन घंटे सो लेने के बाद उठते ही संता को जीतो नज़र आती है, और वह फिर इच्छुक हो उठता है...

वह उसका कंधा थपथपाता है, और जीतो भी मुस्कुराते हुए फिर मान जाती है...

एक घंटे बाद संता को टीवी देखता छोड़कर जीतो फिर रसोई में पहुंच जाती है, और रात के खाने में भी संता की पसंदीदा सब्ज़ियां पकाती है...

रात का खाना खत्म होने के बाद दोनों एक-दूसरे से लिपटकर प्यार-मोहब्बत की बातें कर रहे थे, कि अचानक संता का दिल एक बार फिर मचल उठता है, और इस बार भी बिना चेहरे पर शिकन लाए जीतो हामी भर देती है...

इस दौर के बाद दोनों एक-दूसरे की बांहों में लेट जाते हैं, लेकिन संता की आंखों में नींद कहां...?

ठीक आधी रात को वह जीतो को एक बार फिर जगाता है, और वही फरमाइश करता है, और जीतो इस बार भी हां कर देती है...

इसके बाद जीतो फिर सो जाती है, लेकिन संता करवटें बदलता रहता है...

जब उसे कतई नींद नहीं आती, तो रात को लगभग दो बजे वह जीतो को फिर उठाकर कहता है, "मेरी जान, अब मेरी ज़िन्दगी के सिर्फ चार घंटे रह गए हैं... क्यों न हम दोनों एक बार फिर..."

इस बार जीतो उसकी बात बीच में ही काटकर जवाब देती है, "सुनो जानू, अब मुझे सोने दो... तुम्हें तो अब उठना नहीं है, लेकिन मुझे सुबह जल्दी उठना पड़ता है..."

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

कौन हूं मैं...

मेरी पहेलियां...

मेरी पसंदीदा कविताएं, भजन और प्रार्थनाएं (कुछ पुरानी यादें)...

मेरे आलेख (मेरी बात तेरी बात)...