देवी पार्वती मायके गई हुई थीं, और नारद मुनि भगवान शिव को प्रणाम करने कैलाश पर्वत आ पहुंचे...
महादेव के पास ध्यानयोग के पश्चात भी समय ही समय रहता था, सो, नारद जी ने चुटकी ली, "प्रभु, आप 'फोर्स्ड बैचलरहुड' का आनंद ले रहे हैं..."
महादेव ने मुस्कुराते हुए कहा, "आप स्वयं तो इन सब बंधनों से अलग हो विश्वभ्रमण करते रहते हैं, अच्छे-अच्छे दृश्य देखते-देखते, श्रेष्ठतम व्यंजनों का स्वाद लेते-लेते आपका मन न अघाता होगा... हम यहां भांग खाकर सर्दी में गुजारा कर रहे हैं, और आपको ठिठोली सूझ रही है...?"
नारद तो नारद ठहरे, चढ़ा दिया प्रभु को, बोले, "ठीक कहा आपने, महादेव... आपकी ही दुनिया में आपका ही नाम लेकर लोग एक से एक स्वादु पेय बना रहे हैं, और पी रहे हैं... और जब आपको चढ़ाने की बारी आती है, तो भांग और धतूरा चढ़ाकर निपटा देते हैं... आप स्वयं धरती पर जाकर उन पेय पदार्थों का आनंद क्यों नहीं लेते... फुर्सत भी है आजकल..."
महादेव को भी बात जंच गई, बोले, "कह तो आप ठीक ही रहे हैं, नारद जी... वैसे भी देवी पार्वती के बिना यहां कुछ नहीं रखा... चलिए, चले चलते हैं..."
नारद ने तपाक से कहा, "नारायण... नारायण... प्रभु, चलता तो अवश्य, परन्तु भगवान विष्णु को भी प्रणाम करने जाना था, सो, बेहतर हो कि आज आप अकेले ही चले जाएं..."
महादेव ने कहा, "कोई बात नहीं, हम अकेले ही पृथ्वी पर हो आएंगे... आप बस भगवान विष्णु से मेरा भी प्रणाम कह दें..."
नारद कैलाश से प्रस्थान कर गए, तो भगवान शिव भी रूप बदलकर, कोट-पैंट डाटकर धरती को चल दिए...
नीचे पहुंचकर देखा, लोग 'जय शिव शंकर' का नारा लगा-लगाकर ताड़ी, शराब, भांग, गांजा, मारिजुआना, और न जाने क्या-क्या चढ़ाए जा रहे थे...
महादेव ने सोचा, "नारद जी सच ही कहते थे... चलो, आज स्वयं भी इन पेयों का भोग लगाता हूं..."
सो, महादेव जा पहुंचे एक बार में और काउंटर पर खड़े हो, बारटेंडर से वहां रखी एक बोतल की ओर इशारा करते हुए पूछा, "वह क्या है, भाई...?"
बारटेंडर हंसा और पूछा, "पहली बार घर से बाहर निकले हो क्या, भाई... यह बीयर कहलाती है, वैसे भी नए होने के कारण तुम्हारे लिए एकदम ठीक रहेगी..."
महादेव ने तपाक से कहा, "तो इधर लाओ..."
भगवान ऊंची वाली कुर्सी पर बैठे, काउंटर पर कोहनियां टिकाईं, और बीयर की बोतल हाथ में आते ही उसे सीधे हलक में उड़ेल लिया...
बारटेंडर का मुंह खुला रह गया, सोचने लगा, "जो व्यक्ति बीयर का नाम तक नहीं जानता था, वह एक ही बार में पूरी बोतल गटककर भी सीधा कैसे बैठा है... पट्ठे की कैपेसिटी मस्त है..."
तभी महादेव ने उसे फिर पास बुलाया और बोले, "यह क्या पानी पिला रहे हो... कुछ दमदार भी है क्या तुम्हारे पास...?"
बारटेंडर ने झिझकते हुए व्हिस्की की एक बोतल भगवान की ओर बढ़ा दी...
प्रभु ने व्हिस्की की बोतल का भी बीयर वाला ही हश्र किया, और बिल्कुल आराम से बैठे रहे...
अब तो बारटेंडर का चेहरा देखने लायक हो गया...
जब तक वह कुछ सोच-समझ पाता, प्रभु ने हुक्म दिया, "भाई, तुम्हारे पास जो कुछ भी है, सब ले आओ..."
बारटेंडर घबराकर रम, वोदका, जिन, स्कॉच, जो कुछ भी था, सब एक-एक बोतल ले आया...
भगवान ने उसकी ओर मुस्कुराते हुए देखा, और एक-एक कर सभी बोतलें हलक में उड़ेलते गए...
अब तक बार में मौजूद बाकी लोग भी अपना पीना छोड़ महादेव का पीना देखने लगे, और बारटेंडर तो घबराया हुआ तमाशा देख ही रहा था...
जब भगवान ने सब खत्म कर दिया, और उसके बावजूद बिल्कुल सीधे बैठे रहे, तो बारटेंडर ने सोचा, "यदि ऐसा ग्राहक पक्का हो जाए तो वारे-न्यारे हो जाएंगे..."
यही विचार मन में रखकर उसने बहुत ही शिष्टता से भगवान से कहा, "आप जितनी पी चुके हैं, उतने में तो ये सब लोग लुढ़क चुके होते... आप ने सब खत्म कर दिया, फिर भी आराम से बैठे हैं, आपको चढ़ी ही नहीं... जरूर आप कोई बहुत बड़ी हस्ती हैं... प्लीज, मुझे बताइए, आप कौन हैं..."
भगवान ने भी एक पल सोचा, फिर बोले, "हम तुम्हारे व्यवहार से प्रसन्न हैं, सो, बताए देते हैं... हम भगवान शिव हैं..."
बारटेंडर मुस्कुराया, लोगों की तरफ मुड़ा, और बोला, "अब चढ़ी साले को..."
चुटकुला ऐसी संज्ञा है, जिससे कोई भी अपरिचित नहीं... हंसने-हंसाने के लिए दुनिया के हर कोने में इसका प्रयोग होता है... खुश रहना चाहता हूं, खुश रहना जानता हूं, सो, चुटकुले लिखने-पढ़ने और सुनने-सुनाने का शौकीन हूं... कुछ चुनिंदा चुटकुले, या हंसगुल्ले, आप लोगों के सामने हैं... सर्वलोकप्रिय श्रेणियों 'संता-बंता', 'नॉनवेज चुटकुले', 'पति-पत्नी' के अलावा कुछ बेहतरीन हास्य कविताएं और मेरी अपनी श्रेणी 'शरारती सार्थक' भी पढ़िए, और खुद को गुदगुदाइए...
Wednesday, December 09, 2009
भगवान शिव, पृथ्वी यात्रा, और शराब...
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