Friday, March 04, 2011

बंता सिंह की सुहागरात, और पत्नी की औकात...

सुहागरात के लिए कमरे में घुसने से पहले दोस्तों ने बंता सिंह के कान भरने शुरू कर दिए...

"यार, अगर बीवी को पहली ही रात में उसकी औकात न दिखाई जाए, तो सारी उम्र सिर पर चढ़कर नाचती हैं... बीवी के साथ सोना तेरा हक है, और उसे पहली ही रात यह समझा देना, वरना अपने शरीर को ही हथियार बनाकर वह सारी ज़िन्दगी तेरी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करती रहेगी..."

बंता यह सब सुनकर घबरा गया, और दोस्तों से पूछा, "लेकिन फिर मुझे करना क्या चाहिए...?"

दोस्त ने तपाक से उपाय बताया, "बीवी को पहली ही रात एहसास दिला दे कि तुझे उसके शरीर का लालच नहीं है, और वह तेरे साथ सोकर कोई एहसान नहीं कर रही है..."

बंता ने फिर सवाल किया, "लेकिन यह एहसास दिलाने के लिए क्या करूं...?"

दोस्त ने कहा, "रात को जीभर के मज़ा कर बीवी के साथ, लेकिन सुबह कमरे से बाहर आने से पहले 1000 रुपये का नोट उसके हाथ में थमाना, और कहना कि तू यह सब किसी के साथ भी मुफ्त में नहीं करता... इससे तेरी बीवी को एहसास हो जाएगा कि तुझे कोई परवाह नहीं है कि वह तेरे साथ सोती है या नहीं, क्योंकि तेरे पास घर के बाहर भी जुगाड़ हैं..."

बंता दोस्त का तर्क समझ गया...

उसने रात भर दोस्त का कहना मानकर मज़े किए, और सुबह कमरे से बाहर आते वक्त सलाह के मुताबिक 1000 रुपये का नोट बीवी के हाथ में थमाकर बोला, "तेरे साथ मज़ा आया, मेरी रानी... लेकिन मैं यह सब मुफ्त नहीं करता, इसलिए यह पकड़ अपने हक के पैसे..."

पत्नी ने भी तपाक से नोट पकड़ लिया, और अपने पर्स से 500 रुपये का नोट निकालकर बंता सिंह को पकड़ाकर बोली, "मुझे क्या चोर समझा है, यह लो पांच सौ रुपये... किसी से भी हक से ज़्यादा नहीं लेती मैं..."

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