संता सिंह के पास एक बहुत छोटा-सा, सिर्फ 12 इंच (एक फुट) ऊंचाई वाला बेहद प्यारा दिखने वाला घोड़ा था...
उसके करीबी दोस्त बंता ने सवाल किया, "यार, यह घोड़ा तो बेहद अनूठा है, कहां से लाया...?"
संता ने बताया, "यार, हमारे शहर के बाहर जो पहाड़ी है, उसकी चोटी पर बनी कुटिया में एक पहुंचे हुए साधु बाबा तपस्या करने के लिए रहने लगे हैं... वह अपने पास आने वाले हर शख्स की एक मुराद ज़रूर पूरी करते हैं, और जो मांगो, वही देते हैं..."
बंता यह जानकर खुश हुआ, और बोला, "यह तो बहुत अच्छी बात बताई तूने... अब मैं भी कल ही उनके पास जाकर अपने लिए कुछ न कुछ मांगता हूं..."
संता ने तुरंत चेताया, "लेकिन एक बात की ध्यान रखना... बाबा कुछ ऊंचा सुनते हैं, सो ज़रा ऊंची आवाज़ में मांगना... और हां, सोच-समझकर मांगना, क्योंकि बाबा सिर्फ एक ही वरदान देते हैं..."
बंता ने कहा, "ठीक है, दोस्त... ध्यान रखूंगा..."
अगले दिन तड़के ही बंता सिंह भी जा पहुंचा बाबा की कुटिया पर, और बाबा के आंखें खोलते ही चीखकर बोला, "प्रणाम बाबा... मुझे हीरों से भरी एक बोरी दीजिए..."
बाबा ने अपना कमंडल ऊंचा उठाया, कुछ मंत्र बुदबुदाए, और कहा, "तथास्तु, वत्स..."
तुरंत ही चारों ओर आंखें चौंधिया देने वाला प्रकाश फैल गया, और रोशनी छंटते ही बंता को अपने पैरों के पास पड़ी बोरी दिखाई दी...
बंता तुरंत बाबा के पैरों में गिर गया, और उसके धन्यवाद कहते ही बाबा फिर तपस्या में लीन हो गए...
बंता ने खुशी-खुशी बोरी उठाई, और घर की ओर चल दिया...
घर पहुंचकर बंता ने बहुत उत्साह से बोरी खोली, और माथा पीट लिया, क्योंकि बोरी में खीरे भरे हुए थे...
वह तुरंत भागा-भागा संता के पास पहुंचा और रोते-रोते अपनी रामकहानी सुनाई...
संता ने तुरंत कहा, "यार, मैंने तुझसे पहले ही कहा था, बाबा ऊंचा सुनते हैं... और तुझे क्या लगता है, मैंने 12 इंच का घोड़ा मांगा होगा..."
:))
ReplyDeleteतौबा...तौबा
लाहौल विला कूवत
:-)
ReplyDeleteHa ha ha
ReplyDeleteSir G aap bhi na bade Rasiya h