Wednesday, August 03, 2011

शरारती सार्थक, और गणित का अध्यापक...

शरारती सार्थक ने अपने गणित के अध्यापक के घर पर फोन किया, लेकिन फोन उनकी पत्नी ने उठाया, तो सार्थक ने कहा, "मैडम नमस्ते, मैं सार्थक बोल रहा हूं, क्या रमेश सर से बात कराएंगी, प्लीज़...?"

उधर से बेहद उदास स्वर में जवाब आया, "उनका तो कल शाम एक दुर्घटना में देहांत हो गया है..."

सार्थक ने कहा, "ओह, माफ कीजिएगा...", और फोन रख दिया...

अगले दिन सार्थक ने फिर रमेश सर के घर पर फोन किया और पूछा, "रमेश सर हैं क्या...?"

उधर से आवाज़ आई, "आपको कल भी बताया था, उनका दो दिन पहले एक दुर्घटना में देहांत हो गया है..."

सार्थक ने फिर कहा, "ओह, माफ कीजिएगा...", और फोन रख दिया...

तीसरे दिन भी सार्थक ने रमेश जी के घर पर फोन कर सवाल किया, "रमेश सर हैं क्या...?"

इस बार उधर से गुर्राती हुई आवाज़ आई, "आपको रोज़ बता रही हूं कि उनका एक दुर्घटना में देहांत हो गया है, फिर आप बार-बार फोन क्यों करते हो...?"

सार्थक ने तपाक से जवाब दिया, "सुनकर बहुत अच्छा लगता है..."

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