संता सिंह ने सालों तक शादी की कोशिश में नाकाम होने के बाद एक दिन पंडित जी को अपनी जन्मकुण्डली दिखाई और बोला, "महाराज, सालों हो गए, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद मेरी शादी नहीं हो पा रही है... आप बताइए, क्या अड़चन है..."
पंडित जी ने जवाब दिया, "भाई मेरे, तुम्हारी शादी होगी भी नहीं, क्योंकि तुम्हारी कुण्डली में सुख ही सुख लिखा है..."
हा,,हा,,हा,,हा,,हा,, हा
ReplyDeleteबहुत सही कहा पंडित जी ने
काश आपको ये सुख आपके नसीब में भी होता :))
प्रकाश भाई, मैं कोशिश किए बिना हारने का हामी नहीं, सो, शादी का लड्डू खाए बिना क्यों पछताता, इसलिए खाकर पछताना बेहतर समझा... :-)
ReplyDeleteवैसे, असलियत यह है कि मैं ठीक इसी वजह से खुद को बेहद खुशनसीब समझता हूं, कि मुझे संता जी जैसा सुख नहीं मिला...