सार्थक और उसकी छोटी बहन निष्ठा की शरारतों से पूरा मोहल्ला परेशान था...
माता-पिता रात-दिन इसी चिन्ता में डूबे रहते कि पता नहीं वे दोनों आज क्या करेंगे...
एक दिन मोहल्ले में एक साधु आया, जिसके बारे में लोगों का कहना था कि बहुत पहुंचे हुए महात्मा हैं, हर परेशानी का हल है उनके पास...
एक पड़ोसन ने सार्थक-निष्ठा की मां को सलाह दी, "तुम अपने बच्चों को साधु महाराज के पास ले जाओ... शायद उनके आशीर्वाद से ही इनकी बुद्धि ठीक हो जाए... और मेरी मानो तो दोनों को एक साथ मत ले जाना, क्या पता, दोनों मिलकर वहीं कुछ शरारत कर दें और साधु महाराज नाराज़ हो जाएं..."
मां को पड़ोसन की बात ठीक लगी...
अगले ही दिन मां सार्थक को लेकर साधु महाराज के पास पहुंची...
साधु महाराज ने सार्थक को सामने बिठाया और मां से बाहर जाकर इंतजार करने के लिए कहा...
अब साधु महाराज ने सार्थक से पूछा, "बेटे, तुम भगवान को जानते हो न... बताओ, वह कहां हैं...?"
सार्थक ने कोई जवाब नहीं दिया, बस, मुंह बाए साधु महाराज की ओर देखता रहा...
साधु महाराज ने अपना प्रश्न दोहराया, लेकिन सार्थक अब भी कुछ नहीं बोला...
इस पर साधु महाराज कुछ चिढ़-से गए...
उन्होंने कुछ नाराज़गी दिखाते हुए कहा, "सुनाई नहीं देता क्या, मैं क्या पूछ रहा हूं... जवाब दो, भगवान कहां हैं...?"
साधु महाराज का गुस्सा सार्थक को महसूस हुआ, तो वह उठा और तेजी से बाहर की ओर भागा...
साधु महाराज आवाज़ देते रह गए, लेकिन सार्थक घर पहुंचकर ही रुका, और अपने कमरे में पलंग के नीचे छिप गया...
निष्ठा ने बड़े भाई को इस तरह छिपते हुए देखा तो पूछा, "क्या हुआ, भैया... छिप क्यों रहे हो...?"
सार्थक ने घबराए हुए स्वर में कहा, "निष्ठा, तू भी जल्दी से कहीं छिप जा..."
इतना सुनते ही निष्ठा ने भी पलंग के नीचे घुसने की कोशिश करते हुए पूछा, "लेकिन हुआ क्या...?"
सार्थक बोला, "निष्ठा, इस बार हम बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गए हैं... भगवान कहीं खो गए हैं और लोग समझ रहे हैं कि इसमें हमारा हाथ है..."
चुटकुला ऐसी संज्ञा है, जिससे कोई भी अपरिचित नहीं... हंसने-हंसाने के लिए दुनिया के हर कोने में इसका प्रयोग होता है... खुश रहना चाहता हूं, खुश रहना जानता हूं, सो, चुटकुले लिखने-पढ़ने और सुनने-सुनाने का शौकीन हूं... कुछ चुनिंदा चुटकुले, या हंसगुल्ले, आप लोगों के सामने हैं... सर्वलोकप्रिय श्रेणियों 'संता-बंता', 'नॉनवेज चुटकुले', 'पति-पत्नी' के अलावा कुछ बेहतरीन हास्य कविताएं और मेरी अपनी श्रेणी 'शरारती सार्थक' भी पढ़िए, और खुद को गुदगुदाइए...
Wednesday, November 25, 2009
खो गए भगवान...
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