विशेष नोट : हमारे गुप्ता जी अपनी कंजूसी के लिए जाने जाते हैं, जिनसे जुड़ा यह चुटकुला मेरी मित्र पूजा गोयल ने मुझे भेजा है...
गुप्ता जी के बेटे का अफेयर पड़ोस के मकान में रहने वाले अग्रवाल साहब की बेटी से चल रहा था...
गुप्ता जी के बेटे का अफेयर पड़ोस के मकान में रहने वाले अग्रवाल साहब की बेटी से चल रहा था...
एक दिन गर्लफ्रेंड ने कहा, "सुनो, आज रात पापा कहीं बाहर जा रहे हैं, सो, सिर्फ मम्मी ही घर पर होंगी... मैं मौका देखकर पीछे वाली गली में सिक्का फेंकूंगी, और तुम आवाज़ सुनते ही पिछले दरवाज़े से मेरे कमरे में घुस आना..."
गुप्ता जी का बेटा तैयार हो गया, और बेसब्री से इंतज़ार करने लगा...
रात को लगभग डेढ़ बजे गर्लफ्रेंड ने सिक्का पिछली गली में फेंका, और गुप्ता जी के बेटे का इंतज़ार करने लगी...
गुप्ता जी का बेटा लगभग तीन बजे उसके घर पहुंचा तो गर्लफ्रेंड ने गुस्साते हुए पूछा, "इतनी देर कहां लगा दी...?"
गुप्ता जी का बेटा मासूमियत से बोला, "यार, वह सिक्का ढूंढने में सारा वक्त खर्च हो गया, और फिर भी साला मिला ही नहीं..."
गर्लफ्रेंड ने झुंझलाते हुए कहा, "तुम भी बिल्कुल बेवकूफ हो... सिक्का तो मैंने धागा बांधकर फेंका था, और तभी वापस खींच लिया था..."
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