गब्बर : कितने आदमी थे...?
कालिया : सरदार, दो...
गब्बर : मुझे गिनती नहीं आती, बेवकूफ... दो कितने होते हैं...
कालिया : सरदार, एक के बाद दो आता है...
गब्बर : और दो से पहले क्या आता है...?
कालिया : सरदार, दो से पहले एक आता है...
गब्बर : तो फिर दोनों के बीच में क्या आता है...?
कालिया : सरदार, दोनों के बीच में कुछ नहीं आता...
गब्बर : जब दोनों के बीच में कुछ नहीं है, तो दोनों एक साथ क्यों नहीं आते...?
कालिया : सरदार, एक के बाद ही दो आ सकता है, क्योंकि दो, एक से बड़ा होता है...
गब्बर : ओह, दो बड़ा होता है... अच्छा, दो, एक से कितना बड़ा होता है...?
कालिया : सरदार, दो, एक से एक बड़ा होता है...
गब्बर : अगर दो, एक से एक बड़ा होता है, तो एक, एक से कितना बड़ा होता है...?
कालिया : सरदार, मैंने आपका नमक खाया है, आज गोली भी मार दो...
चुटकुला ऐसी संज्ञा है, जिससे कोई भी अपरिचित नहीं... हंसने-हंसाने के लिए दुनिया के हर कोने में इसका प्रयोग होता है... खुश रहना चाहता हूं, खुश रहना जानता हूं, सो, चुटकुले लिखने-पढ़ने और सुनने-सुनाने का शौकीन हूं... कुछ चुनिंदा चुटकुले, या हंसगुल्ले, आप लोगों के सामने हैं... सर्वलोकप्रिय श्रेणियों 'संता-बंता', 'नॉनवेज चुटकुले', 'पति-पत्नी' के अलावा कुछ बेहतरीन हास्य कविताएं और मेरी अपनी श्रेणी 'शरारती सार्थक' भी पढ़िए, और खुद को गुदगुदाइए...
Wednesday, November 18, 2009
आधुनिक गब्बर-कालिया संवाद...
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Jokes,
Vivek Rastogi,
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विवेक रस्तोगी
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बहुत अच्छा
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