एक गांव में रहने वाला वकील अपने कामकाज के सिलसिले में राजधानी स्थित हाईकोर्ट जाता रहता था, और हमेशा एक ही होटल में ठहरता था...
कुछ महीनों में ही उसे होटल मालिक की बेटी से प्यार हो गया, और वे सभी हदें पार कर गए...
इत्तफाक से अगले एक साल तक वकील का राजधानी जाना नहीं हो पाया, और जब वह एक साल बाद वहां पहुंचा, तो अपनी प्रेयसी को गोद में एक बच्चा लिए सीढ़ियों में बैठा पाया...
वकील तुरंत उसे सीने से लगाता हुआ बोला, "मेरी जान, मेरा फोन नंबर तुम्हारे पास था... जब तुम गर्भवती हुईं, मुझे ख़बर कर सकती थीं, मैं सारे काम छोड़कर यहां आ जाता, और हम शादी कर लेते... इस तरह बच्चे को मेरा नाम मिल जाता, और वह हरामी नहीं कहलाता..."
प्रेमिका ने शांत स्वर में जवाब दिया, "मेरी जान, तुम सही कह रहे हो... लेकिन जिस दिन मुझे गर्भवती होने का पता चला, मेरी मां, मेरे पिता, और मेरे बड़े भाई ने सारी रात जागकर सभी संभावनाओं पर विचार किया, और अंततः तय किया, कि वे लोग परिवार में एक हरामी का होना बर्दाश्त कर सकते हैं, एक वकील का होना नहीं..."

चुटकुला ऐसी संज्ञा है, जिससे कोई भी अपरिचित नहीं... हंसने-हंसाने के लिए दुनिया के हर कोने में इसका प्रयोग होता है... खुश रहना चाहता हूं, खुश रहना जानता हूं, सो, चुटकुले लिखने-पढ़ने और सुनने-सुनाने का शौकीन हूं... कुछ चुनिंदा चुटकुले, या हंसगुल्ले, आप लोगों के सामने हैं... सर्वलोकप्रिय श्रेणियों 'संता-बंता', 'नॉनवेज चुटकुले', 'पति-पत्नी' के अलावा कुछ बेहतरीन हास्य कविताएं और मेरी अपनी श्रेणी 'शरारती सार्थक' भी पढ़िए, और खुद को गुदगुदाइए...
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Monday, January 11, 2010
वकील की प्रेमिका और उसके परिवारवाले...
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