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Wednesday, March 26, 2014

Rajinikanth one-liners, once more on public demand - Part Eight...

  • Malaysian Airlines ultimately sent an SMS to Rajinikanth, "OK Rajinikanth... Enough is enough... You win, OK... Now please tell us where our plane is..."
  • Rajinikanth killed the Dead Sea...
  • Rajinikanth knows Victoria's secret...
  • Rajinikanth got small pox when he was a kid... As a result small pox is now eradicated...
  • If Rajinikanth's PC hangs... It's time for next Windows release...
  • Sun doesn't rise until Rajinikanth says 'Good morning'...
  • Rajinikanth was preparing for a spelling test, the rough sheet he used is known as Oxford Dictionary...
  • Rajinikanth once wrote a cheque... The bank bounced...
  • When Rajinikanth logs on to FaceBook.com, FaceBook updates its status message!!!
  • When God watched Rajinikanth's movie 'Robot', he said, "Oh my Rajinikanth!!!"

Wednesday, December 11, 2013

कवि महोदय, और आश्चर्यचकित शरारती सार्थक...

एक कवि सम्मेलन में काफी देर तक कवितापाठ करते रहे कवि महोदय के पास जाकर शरारती सार्थक ने कहा, "मान गए जनाब, आपने तो मुझे आश्चर्यचकित कर दिया..."

कवि महोदय प्रसन्न दिखने लगे, और बोले, "अच्छा... आश्चर्य किस बात का, बेटे... यही कि मैं ये कविताएं कैसे लिखता हूं...?"

शरारती सार्थक ने तपाक से कहा, "नहीं, नहीं... आश्चर्य इस बात का, कि आप ये कविताएं क्यों लिखते हैं...?"

संता सिंह की पत्नी, और नींद में गालियां...

संता सिंह की पत्नी ने सुबह उठकर पति से शिकायत की, "अजी, आप कल रात नींद में मुझे गंदी-गंदी गालियां क्यों दे रहे थे...?"

संता ने जवाब दिया, "अरे नहीं, नहीं... तुम्हें गलतफहमी हुई है..."

पत्नी ने झट-से कहा, "बिल्कुल नहीं... कोई गलतफहमी नहीं हुई... मैंने अपने कानों से सुना था... आप मेरा नाम ले-लेकर गालियां दे रहे थे..."

संता ने तपाक से कहा, "अरे नहीं... गलतफहमी यह हुई है कि मैं नींद में था..."

Friday, December 06, 2013

सेक्स के वक्त लाइट क्यों बुझाती हैं बीवियां...?

संता सिंह ने अपने दोस्त बंता सिंह से पूछा, "यार, एक बात बता... ये बीवियां रात को सेक्स करते समय हमेशा लाइट बंद क्यों करवा देती हैं...?"

बंता सिंह ने दार्शनिक लहजे में कहा, "बहुत सीधी-सी बात है, यार... ये पत्नियां अपने पति को खुश तो देख ही नहीं सकतीं..."

Tuesday, October 08, 2013

जेल से भागा कैदी, और मियां-बीवी...

सेंट्रल जेल में अचानक आग लगने से अफरातफरी मच गई, और उसी दौरान पिछले सात साल से बंद एक बेहद खतरनाक कैदी को भागने का मौका मिल गया...

कैदी बचता-बचाता एक बस्ती तक पहुंच गया, और चुपके से एक घर में घुसा, जहां एक जवान मियां-बीवी बिस्तर पर सोने की तैयारी कर रहे थे...

उन्हें देखते ही कैदी की आंखों में चमक आ गई, और वह चीखकर पति से बोला, "चल साले, बिस्तर से नीचे उतर..."

पति डर के मारे तुरन्त नीचे उतर गया, और कैदी ने उसे कुर्सी से बांध दिया...

इसके बाद कैदी बिस्तर पर पहुंचा, पत्नी के हाथ-पांव बिस्तर से बांध दिए, और नीचे झुककर उसकी गरदन को चूमा...

फिर वह बिस्तर से उठा, और सीधा गुसलखाने की तरफ चला गया...

यह सब देखकर पति ने घबराई-सी आवाज़ में पत्नी से कहा, "सुनो, मुझे यह आदमी बहुत खतरनाक लग रहा है, और लगता है कि यह कई सालों से जेल में बंद था, इसलिए मेरा अंदाज़ा है, इसने कई सालों से सेक्स नहीं किया है और तुम्हें देखकर इसके अरमान जाग गए हैं... मैंने देखा, इसने तुम्हारी गरदन को किस तरह चूमा था, सो, मुझे लगता है, यह तुम्हें छोड़ेगा नहीं... लेकिन तुम कतई मत घबराना, मैं तुम्हें हमेशा प्यार करता रहूंगा... बस, तुम इसको संतुष्ट करके भेज दो, वरना अगर इसे गुस्सा आ गया, तो यह हम दोनों को मार डालेगा... हिम्मत मत हारना, मेरी जान, बस, इतना याद रखना, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं..."

बीवी ने तपाक से कहा, "आपको गलतफहमी हुई है, जी, वह मेरी गरदन नहीं चूम रहा था... वह तो मेरे कान में फुसफुसाकर यह बता रहा था कि वह गे (समलैंगिक) है, और उसे तुम बहुत क्यूट लगे... फिर उसने पूछा, घर में वैसलीन है क्या, तो मैंने उसे बताया कि वैसलीन बाथरूम में है... वह वही लेने गया है... हिम्मत मत हारना, मेरी जान, बस, इतना याद रखना, मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूं..."

Thursday, October 03, 2013

गुप्ता जी की बेटी, ब्वॉयफ्रेंड, और बाइक की सवारी...

गुप्ता जी की बेटी ने अपने ब्वॉयफ्रेंड को फोन मिलाया और जवाब मिलते ही उत्तेजित आवाज़ में कहा, "तुम्हें पता है, आज मेरे पापा ने मुझे तुम्‍हारे साथ बाइक पर घूमते देख लिया था..."

ब्वॉयफ्रेंड ने चिंतित और डरी हुआ आवाज़ में सवाल किया, "तू ठीक तो है न... उन्होंने कुछ किया तो नहीं...?"

गुप्ता जी की बेटी ने कहा, "तुझे तो मालूम ही है, मेरे पापा कितने सख्त हैं... घर में घुसते ही बस की टिकट के लिए दिए पैसे वापस ले लिए मुझसे..."

Thursday, August 22, 2013

शरारती सार्थक, और "जिम्बा लम्बाडी बूमबाडा..."

अध्यापक ने कक्षा में सवाल किया, "अटेन्शन डेफिसिट हाइपरएक्टिव डिसऑर्डर क्या होता है...?"

शरारती सार्थक ने हाथ खड़ा कर दिया, और अध्यापक के इशारा करने पर खड़े होकर कहा, "जिम्बा लम्बाडी बूमबाडा..."

अध्यापक के चेहरे पर हैरानी के भाव आए, और उन्होंने कहा, "मैं कुछ समझा नहीं..."

सार्थक ने तपाक से जवाब दिया, "Same here, dude... Same here..."

Tuesday, August 20, 2013

Golden rules for f***ing...

1. F***ing once a week is good for health, but is harmful if done everyday...

2. F***ing gives proper relaxation to mind and body...


3. F***ing refreshes you...


4. After F***ing, don't take heavy food, opt for liquids instead...


5. F***ing can even reduce your cholesterol level...

6. F***ing reduces weight for sure...
 

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So, by now, you must have understood that Fasting is good for health...

Hmmm... But I like the way your mind works though...

Courtesy: Vaibhav Rastogi

Friday, August 02, 2013

वाट लगा देता है शाब्दिक अनुवाद... (Translating, literally, will kill anything...)

A Firangi asked me if I can help him understand the literal meaning of this song...

"बलम पिचकारी, जो तूने मुझे मारी, तो सीधी-सादी छोरी शराबी हो गई...
जीन्स पहनके, जो तूने मारा ठुमका, तो लट्टू पड़ोसन की भाभी हो गई..."


I sheepishly answered, "Dear beloved, when you assaulted me with a stream of water from a liquid projectile launcher, an ostensibly normal and balanced female became alcoholic... When you wore denim and oscillated your pelvic girdle in one direction, the adjoining resident's sister-in-law began showing symptoms of an obsession-driven psychological disorder..."

Courtesy: Vaibhav Rastogi

Friday, July 12, 2013

नवविवाहित जोड़ा, दिल्ली में हनीमून, और कॉलगर्ल रिसेप्शनिस्ट...

छोटे शहर का नवविवाहित जोड़ा हनीमून के लिए दिल्ली आया, और किसी सस्ते होटल में पहुंचे...

पत्नी लॉबी में सोफे पर बैठ गई, और पति कमरा बुक कराने के लिए रिसेप्शन काउंटर की ओर चल दिया...

कमरा बुक कराकर पति लौटा, और आते ही पत्नी से बोला, "जो लड़की बहुत ही झीने स्लीवलेस टॉप और छोटी-सी स्कर्ट पहनकर रिसेप्शन पर खड़ी है, वह कॉलगर्ल है..."

पत्नी ने कहा, "नहीं, नहीं, आपको शर्तिया गलतफहमी हुई है... यह तो उनका यूनिफॉर्म होता है..."

पति ने बहस शुरू कर दी, और आखिरकार दोनों में शर्त लग गई...

पति ने पत्नी से पर्दे के पीछे छिपने के लिए कहा, और रिसेप्शन पर फोन करके उस लड़की को कमरे में बुलाया...

लड़की तुरंत आ गई, तो पति ने कहा, "आज रात को मैं अकेला हूं, क्या रात मेरे साथ गुज़ारोगी...?"

लड़की ने तपाक से कहा, "2,000 रुपये लूंगी..."

पति ने जवाब दिया, "2,000 तो बहुत ज़्यादा हैं, मैं तो सिर्फ 200 रुपये दूंगा..."

लड़की गुस्साती हुई बोली, "साला, कड़का...", और लौट गई...

उसके जाने के बाद पत्नी ने पति की तारीफ की कि वह कितनी जल्दी असलियत भांप गया था...

पति बहुत खुश हुआ, और सारा दिन मस्ती करने के बाद शाम को दोनों खाना खाने होटल के रेस्टॉरेंट में गए...

अचानक वही रिसेप्शनिस्ट उनकी मेज पर पहुंची, और बोली, "देखा, 200 रुपये में तो ऐसी ही मिलती है..."

Tuesday, July 09, 2013

शरारती सार्थक, गर्लफ्रेंड, बेस्ट फ्रेंड, और डूबती नाव...

शरारती सार्थक के स्कूल में मनोविशेषज्ञ ने दौरा किया, और सभी बच्चों से बातचीत की...

सार्थक से बातचीत के दौरान मनोविशेषज्ञ ने सवाल किया, "बेटे, अगर तुम्हारी गर्लफ्रेंड और तुम्हारा सबसे अच्छा दोस्त एक ही नाव में बैठे हों, और अचानक नाव डूबने लगे, तो तुम पहले किसे बचाओगे...?"

सार्थक ने कहा, "मैं तो किसी को भी नहीं बचाऊंगा... दोनों को डूबने दूंगा..."

मनोविशेषज्ञ ने हैरानी से पूछा, "क्यों...?"

सार्थक ने तपाक से जवाब दिया, "साले, दोनों एक साथ नाव में कर क्या रहे थे...?"

Wednesday, July 03, 2013

संता सिंह, और नदी किनारे घूमता शरारती सार्थक...

नदी किनारे घूमते हुए संता सिंह ने शरारती सार्थक को देखा, जो सभी को अपनी शरारतों से परेशान कर रहा था...

सबक सिखाने के लिए संता ने सार्थक को रोककर सवाल किया, "तुम्हें तैरना आता है, बेटे...?"

सार्थक ने जवाब दिया, "नहीं अंकल, मुझे तैरना नहीं आता..."

संता सिंह ने हंसते हुए कहा, "हर कुत्ते तक को तैरना आता है, इसलिए तुम तो कुत्ते से भी गए-गुज़रे हो..."

सार्थक के चेहरे पर शिकन तक नहीं आई, और पलटकर सवाल दागा, "अंकल, क्या आपको तैरना आता है...?"

संता ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "हां, बिल्कुल आता है..."

अब सार्थक ने तपाक से जवाब दिया, "तब तो आपमें और कुत्ते में कोई फर्क ही नहीं है..."

Monday, May 06, 2013

घर की सफाई, और सजने-संवरने वाली बहू...

घर बेहद गंदा पड़ा हुआ था और बहू साफ-सफाई करने की जगह सजने-संवरने में लगी हुई थी, इसलिए सास झाड़ू लगाने लगी...

बेटे से देखा नहीं गया, सो, बोला, "मां, तुम रहने दो, झाड़ू मैं लगा देता हूं..."

मां ने मौका सही जानकर ऊंची आवाज में बहू को सुनाते हुए जवाब दिया, "अरे, रहने दे बेटे... मैं लगा तो रही हूं..."

बहू ने लिपस्टिक लगाते हुए तपाक से कहा, "अरे, आप दोनों झगड़ो मत... काम बांट लो न... एक दिन बेटा झाड़ू लगा देगा और एक दिन मां लगा देगी..."

स्कूल में देर से पहुंचा शरारती सार्थक...

अध्यापक ने शरारती सार्थक को स्कूल के गेट पर रोका, और गुस्से से बोले, "सार्थक, तुम आज फिर देर से आए...? तुम्हें पता है न, स्कूल सात बजे शुरू होता है...?"

हमेशा की तरह सार्थक ने तपाक से जवाब दिया, "सर, आप मेरी इतनी चिन्ता मत किया कीजिए... आप स्कूल शुरू करवा दिया कीजिए..."

संता सिंह, और बीवी का ऑफिस...

संता सिंह को पत्नी के साथ ज़रूरी काम से कहीं जाना था, सो, बीवी को लेने के लिए उसके ऑफिस चला गया...

वहां जाकर देखा, बीवी अपने बॉस की गोद में बैठी थी...

बस, फिर क्या था, गुस्से से चीखकर बोला, "चल जीतो... चल, घर चल... ऐसी जगह कतई काम नहीं करना, जहां स्टाफ के लिए कुर्सी तक भी न हो..."

Thursday, November 01, 2012

भगवान रामचंद्र की प्रेस कांफ्रेंस...

विशेष नोट : स्कूली दिनों से मेरे मित्र रहे अनुज खन्ना (https://www.facebook.com/anuj.khanna.18) के फेसबुक स्टेटस से साभार... ध्यान रहे, यह एक कल्पना-मात्र है...


युद्ध में लंकाधिपति रावण का वध करने, और विभीषण का राज्याभिषेक करवाने के बाद जब भगवान रामचंद्र अपनी पत्नी सीता और अपने अनुज लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटकर आए थे, यदि उस समय मीडिया रहा होता तो संवाददाता सम्मेलन, यानि प्रेस कॉन्फ्रेन्स, में उनसे क्या-क्या प्रश्न किए जाते...?
  • आपने अपनी टीम के महत्वपूर्ण घटक श्री हनुमान को लंका में सीता की खोज करने तथा संदेश देने के उद्देश्य से भेजा था, परन्तु उन्होंने वहां जाकर आग लगा दी... क्या इससे यह साफ नहीं हो जाता कि आपकी टीम में अंदरूनी तौर पर वैचारिक मतभेद हैं...?
  • क्या श्री हनुमान के विरुद्ध अशोक वाटिका उजाड़ने के आरोप में वनविभाग द्वारा मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए...?
  • आपके एक अन्य सहयोगी श्री सुग्रीव पर अपने भाई महाबली बालि का राज्य हड़पने का आरोप है... क्या आपने इसकी जांच करवाई...?
  • क्या यह सच नहीं है कि बालि का राज्य हड़पने की श्री सुग्रीव की साजिश के मास्टरमाइंड आप स्वयं हैं...?
  • आप 14 साल तक वनवास में रहे... क्या आप स्पष्ट रूप से बता सकेंगे कि आपको वहां अपने खर्चे चलाने के लिए फंड कहां से मिलते रहे...?
  • क्या आपने किसी स्वतंत्र एजेंसी से उस फंड का ऑडिट करवाया है...?
  • क्या आप बताएंगे कि आपने सिर्फ रावण पर हमला क्यों किया, जबकि अन्य अनेक देशों में भी राक्षस शासनारूढ़ थे... क्या यह लंका की सरकार को निजी कारणों से अस्थिर करने की साजिश नहीं थी...?
  • क्या यह सच नहीं है कि रावण को परेशान करने के मकसद से आपने उनके परिवार के निर्दोष लोगों, जैसे कुम्भकर्ण, पर हमला किया...?
  • क्या आपकी टीम के श्री हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी की जगह पूरा पहाड उखाड़ लेना सरकारी जमीन के साथ छेड़छाड़ नहीं... क्या आप इसे वन संपदा के साथ भी खिलवाड़ नहीं मानेंगे...?
  • क्या यह सच नहीं कि आपने रावण पर आक्रमण करने से पहले समुद्र पर लंका तक बनाए गए पुल का ठेका नल और नील को अपने करीबी होने के कारण दिया...?
  • बताया गया है कि आपने पुल बनाने के लिए छोटी-छोटी गिलहरियों से भी काम करवाया... क्या इसके लिए आपके विरुद्ध वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम तथा बालश्रम कानून के तहत मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए...?
  • आपने बिना किसी पद पर रहते हुए युद्ध के समय देवराज इन्द्र से राजकीय सहायताप्राप्त की और उनका रथ लेकर रावण पर हमला किया... क्या इससे आप इन्द्र की 'टीम ए' सिद्ध नहीं होते...?
  • क्या इस सहायता के बदले आपने इन्द्र से यह वादा नहीं किया कि अयोध्या का राजा बनने के बाद आप उन्हें अयोध्या के आसपास की जमीन दे देंगे...?
  • स्वर्ग की दूरी अयोध्या की तुलना में कई गुणा अधिक है, परन्तु युद्ध के दौरान आपने अयोध्या से रथ न मंगवाकर इन्द्र से रथ मंगवाया... क्या यह निर्णय इन्द्र की कंपनी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से नहीं किया गया...?
  • जाम्बवंत द्वारा युद्ध में आपको दी गई सहायता और परामर्श के बदले क्या आपने उन्हें राष्ट्रपति बनाने का वादा नहीं किया...?
  • क्या विभीषण को अपनी टीम में शामिल करके आपने दल-बदल कानून का सरासर उल्लंघन नहीं किया...?
  • और आखिरी सवाल, आपने भरत को राजा बनाया... क्या आपको अपनी नेतृत्व क्षमता पर संदेह था...?

Monday, September 24, 2012

When Hanuman submitted a TA bill after the journey to bring Sanjeevani Booti...?



After the Lanka War, Hanuman submitted his TA Bill for his tour to pick up the Sanjevani booti, but the Dealing Assistant in the TA Section raised three objections as under...

a) Hanuman did not take permission of King Bharat for undertaking the tour;
b) Hanuman, being a Group 'D' official, was not entitled to Air Travel; and,
c) Hanuman was asked to carry a plant, but instead carried the whole mountain...

Hence, the claim for excess baggage is not acceptable...

When Hanuman invited Ram's attention to the above, he stated that he could do nothing since the queries raised were as per rules...

However, seeing Hanuman's plight, Lakshman volunteered to speak to the dealing assistant and offered him 10 per cent of the amount claimed in the TA Bill...

After that alluring offer, the dealing assistant wrote on file...

I examined this... Since Bharat was ruling as a representative of Ram and since Hanuman had gone on official work under direct directions of Ram, these directions would not only suffice, but would also constitute permission to utilize non-entitled class of travel...

The excess baggage is justified as Hanuman being a Group 'D' official might not have been able to properly identify the proper plant, and, bringing the wrong plant would have entailed multiple journeys, thereby increasing expenditure from the exchequer...

Accordingly, the claim, as submitted, may be passed..."

Thursday, August 23, 2012

आत्मविश्वास से भरी कर्मचारी और बॉस...

बॉस ने छंटनी अभियान के दौरान अपनी कर्मचारी को बुलाकर कहा, "आज आपका टेस्ट होने जा रहा है, जिसमें पास हुए बिना आप नौकरी पर बनी नहीं रह सकतीं..."

युवती ने तुरन्त विश्वासपूर्वक कहा, "सर, मैं तैयार हूं... आप जो पूछना चाहें, पूछ सकते हैं..."

बॉस ने सवाल किया, "यदि हवाईजहाज में सफर करते हुए आपको एक अटैची में 50 ईंट भरकर दी गई हों, और आप उनमें से एक ईंट नीचे धरती पर फेंक दें, तो अटैची में कितनी ईंटें बचेंगी...?"

युवती ने मुस्कुराते हुए तपाक से जवाब दिया, "सर, 49 ईंटें..."

बॉस ने भी मुस्कुराकर कहा, "बिल्कुल ठीक... चलिए जंगल में चलते हैं... आप यह बताइए, किसी हाथी को फ्रिज में बंद करने के तीन चरण कौन-से हैं...?"

युवती ने भी हार नहीं मानी, और बोली, "सर, फ्रिज का दरवाजा खोलेंगे, हाथी को उठाकर फ्रिज में रखेंगे, और दरवाजा बंद कर देंगे..."

बॉस फिर मुस्कुराया, कहा, "शाबास... अब यह बताइए, किसी हिरण को फ्रिज में बंद करने के चार चरण कौन-से हैं...?"

युवती ने इस बार भी तपाक से कहा, "सर, फ्रिज का दरवाजा खोलेंगे, हाथी को उठाकर बाहर निकालेंगे, हिरण को उठाकर फ्रिज में रखेंगे, और दरवाजा बंद कर देंगे..."

बॉस ने फिर सवाल पलट दिया, इस बार बोला, "बताइए, जंगल के राजा शेर का जन्मदिन मनाया जा रहा है, और एक के सिवा जंगल के सारे जानवर और परिन्दे वहां मौजूद हैं... बताइए, ऐसा क्यों...?"

युवती ने इस बार भी विचलित हुए बिना तपाक से कहा, "सर, आप भूल रहे हैं... हिरण फ्रिज में बंद है, इसलिए नहीं पहुंच पाया..."

बॉस ने फिर शाबासी दी, "अरे वाह... आप सचमुच होशियार हैं, मैडम... खैर, यह बताइए, हिरण के परिवार को शेर की जन्मदिन पार्टी के बीच में ही हिरण की तबीयत बिगड़ जाने की ख़बर मिलती है, लेकिन खतरनाक मगरमच्छों से भरी झील पार करके वह फ्रिज तक कैसे पहुंचेंगे...?"

युवती ने फिर कहा, "सर, बिल्कुल आराम से... दरअसल, इस वक्त झील खाली है, क्योंकि मगरमच्छ भी तो पार्टी में ही हैं..."

बॉस अब बोले, "अच्छा... अब सुनिए मैडम, हिरण के परिवार वालों ने झील पार की, उसे फ्रिज से निकाला, अस्पताल पहुंचाया, उसका इलाज हुआ, और वह ठीक होकर जश्न मनाता हुआ अस्पताल से बाहर निकला... लेकिन बाहर आते ही वह मर गया, क्यों...?"

युवती को कोई जवाब नहीं सूझा, और वह चुप रह गई...

अब बॉस ने अट्टहास किया, और बोला, "आपने हमारे बीच हो रही बातचीत को ध्यान से नहीं सुना शायद... दरअसल, हिरण की मौत सिर पर ईंट गिरने से हुई, जो आपने शुरू में हवाईजहाज से नीचे फेंकी थी..."

इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि बॉस ने ठान ली हो तो आपकी 'लेकर' रहता है...

Wednesday, June 06, 2012

अकारण झूठ नहीं बोलते पुरुष...


एक बहुत पुरानी बोधकथा है...

एक लकड़हारा नदी किनारे पेड़ पर कुल्हाड़ी लिए बैठा था, और लकड़ी काट रहा था कि अचानक उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई...

गरीब लकड़हारे ने रोना शुरू कर दिया, क्योंकि कुल्हाड़ी के बिना उसके घर का जूल्हा जलना तक नामुमकिन हो जाता...

उसका रोना सुनकर एक देवदूत जल से बाहर आया, और पूछा, "क्यों रो रहे हो तुम...?"

लकड़हारे ने रोते हुए ही जवाब दिया, "अब क्या बताऊं मैं आपको... दरअसल मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई है, और अगर कुल्हाड़ी नहीं मिली तो मैं लकड़ी नहीं काट पाऊंगा, और जब मेरे पास लकड़ी नहीं होगी तो मैं क्या बेचकर पैसे कमाऊंगा, और जब पैसे नहीं होंगे तो फिर मेरे बीवी-बच्चों का पेट कैसे भरूंगा...?"

देवदूत को लकड़हारे पर तरस आ गया, और वह नदी में उतर गया, और कुछ ही पल बाद सोने से बनी एक कुल्हाड़ी लाकर लकड़हारे को दिखाकर पूछा, "क्या यही तुम्हारी कुल्हाड़ी है...?"

लकड़हारा बोला, "नहीं, यह तो सोने की बनी हुई है, और अगर मुझ गरीब के पास सोने की कुल्हाड़ी खरीदने लायक पैसा होता तो मैं एक कुल्हाड़ी के खो जाने पर इस तरह क्यों रोता...?"

देवदूत फिर नदी में उतर गया, और इस बार वह चांदी से बनी कुल्हाड़ी लाया, और लकड़हारे से सवाल किया, "क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है...?"

लकड़हारा फिर बोला, "आप मेरी गरीबी का मज़ाक उड़ा रहे हैं क्या...? यह चांदी की बनी हुई कुल्हाड़ी है, और मुझ गरीब के पास यह कैसे हो सकती है...?"

देवदूत तीसरी बार नदी में उतरा, और इस बार लकड़हारे की लोहे की बनी कुल्हाड़ी लाकर बोला, "यही तुम्हारी कुल्हाड़ी है न...?"

लकड़हारा तुरन्त खुश हो गया, और बोला, "आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, भगवन... आपने मुझे और मेरे परिवार को भूखे मरने से बचा लिया..."

देवदूत बोला, "मैं तुम्हारी ईमानदारी से बहुत प्रसन्न हुआ हूं... बेहद गरीब होने के बावजूद तुमने सोने और चांदी की महंगी कुल्हाड़ियों का लालच नहीं किया, इसलिए अब ये तीनों कुल्हाड़ियां तुम रख सकते हो..."

लकड़हारा भी खुशी-खुशी घर लौट गया...

परन्तु कुछ ही वर्ष बाद गर्मियों के मौसम में एक दिन लकड़हारा अपनी पत्नी के साथ उसी नदी के पास से गुजरा, तो पत्नी की इच्छा नदी स्नान की हो आई...

नहाने के लिए जैसे ही पत्नी पानी में उतरी, पांव फिसल जाने के कारण नदी में डूब गई, और बेचारा लकड़हारा फिर रोने लगा...

कुछ ही पल में देवदूत फिर पानी से निकला, और पूछा, "क्यों रो रहे हो तुम...?"

लकड़हारे ने अपनी विपदा बताई, देवदूत तुरन्त नदी में उतरा, और करीना कपूर को लाकर पूछा, "क्या यही तुम्हारी पत्नी है...?"

लकड़हारे ने तुरन्त 'हां' कह दिया, जिससे देवदूत गुस्सा हो गया, और बोला, "तुम्हें शर्म नहीं आती... तुम्हारी ईमानदारी पर मुझे गर्व था, लेकिन तुमने आज मुझे निराश कर दिया..."

लकड़हारे ने तुरन्त कहा, "नहीं, नहीं भगवन... आप क्रोधित न हों... मेरे इस प्रकार झूठ बोलने के पीछे एक ठोस कारण है, जिसे आप सुन लीजिए... आज जैसे ही आप प्रकट हुए, मेरे दिमाग में पिछला नुभव कौंध गया... आप अभी करीना कपूर को लेकर आए थे, जिसे स्वीकार करने से मुझे इन्कार कर देना चाहिए था... परन्तु ऐसा होने पर आप अगली बार दीपिका पादुकोन को लेकर आते, मैं फिर भी इन्कार कर देता, और तीसरी बार में आप मेरी पत्नी को लेकर आते, और मैं उसे स्वीकार कर लेता, तो आप तीनों मुझे दे जाते... इसमें समस्या यह हो जाती कि मैं आज भी इतना अमीर नहीं हुआ हूं, कि तीनों पत्नियों के नखरे और खर्चे उठा सकूं, इसलिए मैंने करीना कपूर के लिए हामी भर दी..."

इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि पुरुष कभी अकारण झूठ नहीं बोलते...

Tuesday, April 24, 2012

A very interesting, but true story...

Once upon a time in a village, a man announced to the villagers that he would buy monkeys for Rupees 10 each...

The villagers, seeing that there were many monkeys around, went out to the forest and started catching them...

The man bought thousands of monkeys at Rupees 10 each, and as supply started to decrease, the villagers stopped their efforts...

Then, the man further announced that he would now buy each monkey for Rupees 20...

This renewed the efforts of the villagers and they started catching monkeys again, but soon, the supply decreased even further and people started going back to their farms...

This time, though the offer rate was increased to Rupees 30, supply of monkeys became so little that it was an effort to even see a monkey, let alone catch it...

The man now announced that he would buy monkeys at Rupees 60 each, however, since he had to go to the city on some business, his assistant would now buy them on behalf of him...

In the absense of the man, the assistant told the villagers, "Look at all these monkeys in these big cages here, that boss of mine has collected... I can sell them to you at Rupees 40 each, and when the man returns from the city, you can sell it to him for Rupees 60 each..."

The villagers squeezed up with all their savings and bought all the monkeys, and started waiting for the man to return...

But they never saw the man nor his assistant ever again, only monkeys everywhere...

Welcome to the stock market...
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कौन हूं मैं...

मेरी पहेलियां...

मेरी पसंदीदा कविताएं, भजन और प्रार्थनाएं (कुछ पुरानी यादें)...

मेरे आलेख (मेरी बात तेरी बात)...