एक सड़क हादसे में तीन अधेड़ पुरुषों की मौत हो गई, और उन्हें चित्रगुप्त के सामने प्रस्तुत किया गया...
चित्रगुप्त ने उन सभी से कहा, "आप तीनों बेहद धार्मिक और दानवीर रहे हैं, सो, आपका स्वर्ग में स्थान निश्चित है, परंतु यहां घूमने-फिरने के लिए आपको दिया जाने वाला वाहन एक सवाल के जवाब पर निर्भर करता है..."
इतना कहकर चित्रगुप्त ने पहले सज्जन को अपने पास बुलाया और पूछा, "क्या आपने कभी अपनी पत्नी से बेवफाई की...?"
उस महाशय ने ईमानदारी से जवाब दिया, "हां, लगभग 50-60 बार..."
चित्रगुप्त ने मुस्कुराकर कहा, "आपको यहां स्वर्ग में भ्रमण करने के लिए यमराज ने यह मारुति कार भिजवाई है, इसे स्वीकार करें..."
वह सज्जन खुशी-खुशी कार लेकर कुछ दूरी पर अपने मित्रों की प्रतीक्षा में खड़े हो गए...
फिर चित्रगुप्त ने दूसरे व्यक्ति से वही सवाल किया, "क्या आपने कभी अपनी पत्नी से बेवफाई की...?"
उन्होंने भी ईमानदाराना जवाब दिया, "जी हां, लेकिन सिर्फ 5-7 बार..."
चित्रगुप्त ने उनसे भी मुस्कुराते हुए कहा, "स्वर्ग में भ्रमण करने के लिए यमराज ने आपके लिए यह हॉन्डा सिटी कार भिजवाई है, स्वीकार करें..."
अब तीसरे सज्जन की तरफ घूमकर चित्रगुप्त ने उनसे भी वही सवाल किया, तो वह बोले, "मैंने कभी भी अपनी पत्नी के साथ बेवफाई नहीं की..."
चित्रगुप्त बेहद प्रसन्न दिखने लगे, और बोले, "आपके लिए यमराज ने यह मर्सिडीज़ भिजवाई है, जिसके आप सच्चे हकदार हैं... कृपया स्वीकार करें..."
तीनों मित्र अपनी-अपनी कार लेकर घूमने चल दिए, परंतु कुछ ही दूर चलने पर मर्सिडीज़ वाले महाशय कार रोककर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगे...
दोनों मित्र उनके पास पहुंचे और बोले, "यार, हमें तेरे मुकाबले में बेहद छोटी कार दी गई है, और तेरी कार बेहतरीन है, तू फिर भी रो रहा है... क्यों...?"
वह महोदय रोते-रोते बोले, "अभी-अभी मैंने अपनी पत्नी को नैनो कार में जाते हुए देखा है..."

चुटकुला ऐसी संज्ञा है, जिससे कोई भी अपरिचित नहीं... हंसने-हंसाने के लिए दुनिया के हर कोने में इसका प्रयोग होता है... खुश रहना चाहता हूं, खुश रहना जानता हूं, सो, चुटकुले लिखने-पढ़ने और सुनने-सुनाने का शौकीन हूं... कुछ चुनिंदा चुटकुले, या हंसगुल्ले, आप लोगों के सामने हैं... सर्वलोकप्रिय श्रेणियों 'संता-बंता', 'नॉनवेज चुटकुले', 'पति-पत्नी' के अलावा कुछ बेहतरीन हास्य कविताएं और मेरी अपनी श्रेणी 'शरारती सार्थक' भी पढ़िए, और खुद को गुदगुदाइए...
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Tuesday, September 14, 2010
स्वर्ग में घूमने के लिए कार...
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Thursday, March 18, 2010
संता सिंह, रेगिस्तान की सैर, और ऊंट...
संता सिंह अपने दोस्तों के साथ ऊंट पर रेगिस्तान की सैर के लिए निकले, और रेत के तूफान की वजह से काफिले से बिछड़ गए...
शुक्र था, कि खाने-पीने का पर्याप्त सामान संता के पास मौजूद था...
कई दिन तक भटकते रहने के बाद, एक दिन संता को सेक्स की इच्छा होने लगी तो कोई और चारा न देखकर उसने ऊंट के साथ ही कोशिश की, लेकिन ऊंट आगे भाग गया, और संता तरसता रह गया...
इसके बाद दो-तीन दिन तक कई-कई बार संता ने कोशिश की, लेकिन ऊंट हर बार आगे भाग जाता था...
एक दिन अचानक संता को एक सड़क नज़र आई, और वह खुश हो गया...
सड़क पर पहुंचते ही संता को वहां एक कार खड़ी नज़र आई, जिसके पास दो खूबसूरत और जवान लड़कियां खड़ी थीं...
संता को देखते ही लड़कियों ने कहा, "सर, हम पिछली रात से यहां फंसी हुई हैं... क्या आप हमारी कार ठीक कर सकते हैं, हम बदले में आपके लिए कुछ भी करने को तैयार हैं..."
संता ने खुश होकर पूछा, "कुछ भी...?"
लड़कियों ने एक-दूसरे की तरफ देखा, और कोई अन्य चारा न देखकर कहा, "हां सर, हम कुछ भी करेंगी..."
संता ने तुरंत उनकी कार का हुड खोला और उसे ठीक करने में जुट गया...
सौभाग्यवश कुछ ही मिनट में कार ठीक हो गई, और सभी खुश दिखने लगे...
लड़कियां मुस्कुराते हुए संता के करीब आईं, और कहा, "अब बताइए सर, हम दोनों आपके लिए क्या कर सकती हैं...?"
संता ने तपाक से जवाब दिया, "कुछ देर के लिए मेरे ऊंट को कसकर पकड़ लो, प्लीज़..."
शुक्र था, कि खाने-पीने का पर्याप्त सामान संता के पास मौजूद था...
कई दिन तक भटकते रहने के बाद, एक दिन संता को सेक्स की इच्छा होने लगी तो कोई और चारा न देखकर उसने ऊंट के साथ ही कोशिश की, लेकिन ऊंट आगे भाग गया, और संता तरसता रह गया...
इसके बाद दो-तीन दिन तक कई-कई बार संता ने कोशिश की, लेकिन ऊंट हर बार आगे भाग जाता था...
एक दिन अचानक संता को एक सड़क नज़र आई, और वह खुश हो गया...
सड़क पर पहुंचते ही संता को वहां एक कार खड़ी नज़र आई, जिसके पास दो खूबसूरत और जवान लड़कियां खड़ी थीं...
संता को देखते ही लड़कियों ने कहा, "सर, हम पिछली रात से यहां फंसी हुई हैं... क्या आप हमारी कार ठीक कर सकते हैं, हम बदले में आपके लिए कुछ भी करने को तैयार हैं..."
संता ने खुश होकर पूछा, "कुछ भी...?"
लड़कियों ने एक-दूसरे की तरफ देखा, और कोई अन्य चारा न देखकर कहा, "हां सर, हम कुछ भी करेंगी..."
संता ने तुरंत उनकी कार का हुड खोला और उसे ठीक करने में जुट गया...
सौभाग्यवश कुछ ही मिनट में कार ठीक हो गई, और सभी खुश दिखने लगे...
लड़कियां मुस्कुराते हुए संता के करीब आईं, और कहा, "अब बताइए सर, हम दोनों आपके लिए क्या कर सकती हैं...?"
संता ने तपाक से जवाब दिया, "कुछ देर के लिए मेरे ऊंट को कसकर पकड़ लो, प्लीज़..."
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Wednesday, December 09, 2009
बच्चे और दुर्घटनाएं...
कार की पिछली सीट पर बच्चों का होना दुर्घटना का कारण बनता है...
कार की पिछली सीट पर दुर्घटना का होना बच्चों का कारण बनता है...
कार की पिछली सीट पर दुर्घटना का होना बच्चों का कारण बनता है...
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