दिनेश की शादी एक जैसी दिखने वाली दो जुड़वां बहनों में से एक से हुई...
एक साल भी नहीं बीता, और वह तलाक लेने के लिए अदालत पहुंच गया...
जज ने दिनेश की प्रार्थना सुनने के बाद कहा, "आप अदालत को यह बताइए कि आप तलाक चाहते क्यों हैं..."
दिनेश ने जवाब दिया, "योर ऑनर, सुनिए... अविवाहित होने की वजह से लगभग हर हफ्ते मेरी साली हमारे घर रहने के लिए आती है, और चूंकि वह बिल्कुल मेरी पत्नी जैसी दिखती है, इसलिए अक्सर रात को मेरे बेडरूम में वह आ जाती है, और फिर सब कुछ हो जाने के बाद सुबह उठकर ही मुझे असलियत बताती है..."
जज ने कुछ आश्चर्य जताते हुए कहा, "ऐसा कैसे मुमकिन है... कहीं न कहीं कोई न कोई अंतर तो ज़रूर होगा, दोनों बहनों में..."
दिनेश ने तपाक से जवाब दिया, "सचमुच अंतर है, योर ऑनर, इसीलिए मैं तलाक चाहता हूं..."

चुटकुला ऐसी संज्ञा है, जिससे कोई भी अपरिचित नहीं... हंसने-हंसाने के लिए दुनिया के हर कोने में इसका प्रयोग होता है... खुश रहना चाहता हूं, खुश रहना जानता हूं, सो, चुटकुले लिखने-पढ़ने और सुनने-सुनाने का शौकीन हूं... कुछ चुनिंदा चुटकुले, या हंसगुल्ले, आप लोगों के सामने हैं... सर्वलोकप्रिय श्रेणियों 'संता-बंता', 'नॉनवेज चुटकुले', 'पति-पत्नी' के अलावा कुछ बेहतरीन हास्य कविताएं और मेरी अपनी श्रेणी 'शरारती सार्थक' भी पढ़िए, और खुद को गुदगुदाइए...
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Thursday, December 31, 2009
जुड़वां बहनें, और दिनेश का तलाक...
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Wednesday, December 09, 2009
डाकबाबू और वैलेंटाइन कार्ड...
डाकबाबू डाकघर पहुंचे तो उन्होंने अच्छे बढ़िया कपड़े पहने एक प्रौढ़, गंजे-से सज्जन को काउंटर पर खड़ा पाया...
उन सज्जन के सामने ढेर सारे गुलाबी रंग के बेहद खूबसूरत लिफाफे रखे थे, और वह बहुत करीने से हर लिफाफे पर टिकट लगा रहे थे...
प्रत्येक लिफाफे पर दिल की आकृति भी बनी हुई थी, और आखिर सज्जन ने इत्र की एक शीशी जेब से निकाली, और हर लिफाफे पर स्प्रे करना शुरू कर दिया...
डाकबाबू उत्सुकतावश सज्जन के पास पहुंचे, और उससे पूछा, "महाशय, इतनी मेहनत करके इतने करीने से इतने सारे लिफाफे आप किन्हें भेज रहे हैं...?"
सज्जन ने मुस्कुराते हुए डाकबाबू की ओर देखा, और बोले, "मैं इस शहर के एक हज़ार विवाहित पुरुषों को वैलेंटाइन कार्ड भेज रहा हूं 'सोचो कौन...' लिखकर..."
डाकबाबू ने हैरान होते हुए फिर पूछा, "पुरुषों को... लेकिन क्यों...?"
सज्जन ने जवाब दिया, "मैं तलाक के मामलों का विशेषज्ञ वकील हूं..."
उन सज्जन के सामने ढेर सारे गुलाबी रंग के बेहद खूबसूरत लिफाफे रखे थे, और वह बहुत करीने से हर लिफाफे पर टिकट लगा रहे थे...
प्रत्येक लिफाफे पर दिल की आकृति भी बनी हुई थी, और आखिर सज्जन ने इत्र की एक शीशी जेब से निकाली, और हर लिफाफे पर स्प्रे करना शुरू कर दिया...
डाकबाबू उत्सुकतावश सज्जन के पास पहुंचे, और उससे पूछा, "महाशय, इतनी मेहनत करके इतने करीने से इतने सारे लिफाफे आप किन्हें भेज रहे हैं...?"
सज्जन ने मुस्कुराते हुए डाकबाबू की ओर देखा, और बोले, "मैं इस शहर के एक हज़ार विवाहित पुरुषों को वैलेंटाइन कार्ड भेज रहा हूं 'सोचो कौन...' लिखकर..."
डाकबाबू ने हैरान होते हुए फिर पूछा, "पुरुषों को... लेकिन क्यों...?"
सज्जन ने जवाब दिया, "मैं तलाक के मामलों का विशेषज्ञ वकील हूं..."
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Thursday, November 19, 2009
बंटवारा बच्चों का...
एक बार मियां-बीवी तलाक लेने अदालत पहुंचे...
जज : तुम्हारा तलाक तो हो जाएगा, लेकिन तुम लोग अपने तीन बच्चों को कैसे बांटोगे...?
मियां-बीवी : ठीक है, हम अगले साल तलाक ले लेंगे...
जज : तुम्हारा तलाक तो हो जाएगा, लेकिन तुम लोग अपने तीन बच्चों को कैसे बांटोगे...?
मियां-बीवी : ठीक है, हम अगले साल तलाक ले लेंगे...
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