Thursday, March 04, 2010

हर मुश्किल में साथ थी तू...

संता सिंह अपनी पत्नी से बातें कर रहे थे...

"मुझे याद है, जब मेरी फैक्टरी में आग लगी थी, तू मेरे साथ थी..."

"उसके बाद मैंने नौकरी की, और कुछ ही दिनों में वह भी छूट गई, तू मेरे साथ ही थी..."

"जब मेरा एक्सीडेंट हुआ, मेरी टांग टूटी, तू मेरे साथ थी..."

"जब मेरा घर बिका, तब भी तू मेरे साथ थी..."

"आज जब मैं पूरी तरह सड़क पर आ गया हूं, तब भी तू ही मेरे साथ है..."

"अब मैं समझा... सारे फसाद की जड़ तू ही है..."

2 comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

कौन हूं मैं...

मेरी पहेलियां...

मेरी पसंदीदा कविताएं, भजन और प्रार्थनाएं (कुछ पुरानी यादें)...

मेरे आलेख (मेरी बात तेरी बात)...