संता सिंह अपनी पत्नी से बातें कर रहे थे...
"मुझे याद है, जब मेरी फैक्टरी में आग लगी थी, तू मेरे साथ थी..."
"उसके बाद मैंने नौकरी की, और कुछ ही दिनों में वह भी छूट गई, तू मेरे साथ ही थी..."
"जब मेरा एक्सीडेंट हुआ, मेरी टांग टूटी, तू मेरे साथ थी..."
"जब मेरा घर बिका, तब भी तू मेरे साथ थी..."
"आज जब मैं पूरी तरह सड़क पर आ गया हूं, तब भी तू ही मेरे साथ है..."
"अब मैं समझा... सारे फसाद की जड़ तू ही है..."
चुटकुला ऐसी संज्ञा है, जिससे कोई भी अपरिचित नहीं... हंसने-हंसाने के लिए दुनिया के हर कोने में इसका प्रयोग होता है... खुश रहना चाहता हूं, खुश रहना जानता हूं, सो, चुटकुले लिखने-पढ़ने और सुनने-सुनाने का शौकीन हूं... कुछ चुनिंदा चुटकुले, या हंसगुल्ले, आप लोगों के सामने हैं... सर्वलोकप्रिय श्रेणियों 'संता-बंता', 'नॉनवेज चुटकुले', 'पति-पत्नी' के अलावा कुछ बेहतरीन हास्य कविताएं और मेरी अपनी श्रेणी 'शरारती सार्थक' भी पढ़िए, और खुद को गुदगुदाइए...
Thursday, March 04, 2010
हर मुश्किल में साथ थी तू...
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HA HA HA
ReplyDeletereally funny
@ Fauziya... :-) Please read other jokes also, and your feedback is always welcome...
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