Friday, July 23, 2010

सार्थक, और उसकी बिगड़ती भाषा...

'हंगामा' टीवी चैनल पर आने वाले कार्टून कार्यक्रम देख-देखकर पिछले कुछ दिनों से शरारती सार्थक की भाषा बिगड़ती जा रही थी, और कल तो हद ही हो गई, जब उसने क्लास में अपनी मैडम से किसी बात पर नाराज़ होकर कह डाला, "भाड़ में जाओ..."

मुझे रात को इस बात का पता लगा तो बहुत गुस्सा आया...

मैंने सार्थक के गाल पर कसकर दो तमाचे लगाए, और कहा, "आज के बाद किसी से भी अगर इस तरह बात की तो बेहद पिटाई होगी... और हां, कल सुबह जाते ही अपनी मैडम से माफी मांगना, वरना घर में नहीं घुसने दूंगा..."

सार्थक ने चुपचाप सिर झुकाकर हामी भरी, और अपने कमरे में जाकर सो गया...

आज दोपहर बाद मैंने उसकी मैडम को फोन किया, और जानना चाहा कि सार्थक ने उनसे माफी मांगी या नहीं...

मैडम ने मेरा परिचय जानने के बाद मुझे सारा किस्सा बताया, "आज सुबह-सुबह स्कूल में घुसते ही सार्थक मेरे पास आया और मुझसे कहा, मैडम, कल मैंने आपसे कहा था कि आप भाड़ में जाएं... तब मैंने उससे कहा, हां बेटे, मुझे याद है... तो सार्थक ने हमेशा की तरह तपाक से मुझसे कहा, अब वहां मत जाना..."

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