हमारे घर अचानक कुछ मेहमान आ गए, रात को रुकने का कार्यक्रम बनाकर, सो, चारपाइयां कम पड़ गईं...
मेरी पत्नी और बच्चे भी चिंता में पड़ गए कि कहीं से भी चारपाइयां नहीं जुट पाईं, तो मेहमान कहां सोएंगे...
मैंने अपनी पत्नी से कहा, "परेशान होने की ज़रूरत नहीं, भाग्यवान... पड़ोस में संता सिंह के घर से चारपाई मांग लेते हैं..."
इतना कहकर मैंने अपने बेटे शरारती सार्थक से कहा, "जा बेटे, संता अंकल से जाकर अपनी परेशानी बताना, और एक चारपाई मांग लेना..."
शरारती सार्थक तुरंत संता के घर जा पहुंचा, और जैसे ही संता ने दरवाज़ा खोला, सार्थक ने अपनी दिक्कत बताई...
संता ने चेहरे पर शर्मिन्दगी के भाव लाते हुए कहा, "बेटे, मैं माफी चाहता हूं, लेकिन मेरे घर में दो ही चारपाइयां हैं, एक पर मेरी मां और मेरी पत्नी सोते हैं, और दूसरी पर मैं और मेरे पिताजी..."
सार्थक ने तपाक से कहा, "अंकल, इसमें माफी मांगने जैसी तो कोई बात नहीं है, लेकिन आप लोग सोना तो सीख लो..."
चुटकुला ऐसी संज्ञा है, जिससे कोई भी अपरिचित नहीं... हंसने-हंसाने के लिए दुनिया के हर कोने में इसका प्रयोग होता है... खुश रहना चाहता हूं, खुश रहना जानता हूं, सो, चुटकुले लिखने-पढ़ने और सुनने-सुनाने का शौकीन हूं... कुछ चुनिंदा चुटकुले, या हंसगुल्ले, आप लोगों के सामने हैं... सर्वलोकप्रिय श्रेणियों 'संता-बंता', 'नॉनवेज चुटकुले', 'पति-पत्नी' के अलावा कुछ बेहतरीन हास्य कविताएं और मेरी अपनी श्रेणी 'शरारती सार्थक' भी पढ़िए, और खुद को गुदगुदाइए...
Friday, July 23, 2010
सार्थक, और संता सिंह की चारपाई...
कीवर्ड अथवा लेबल
Jokes,
Saarthak Rastogi,
Vivek Rastogi,
चारपाई,
चुटकुले,
विवेक रस्तोगी,
शरारती सार्थक,
संता-बंता,
सार्थक रस्तोगी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
संतासिंह का दोष नहीं है.
ReplyDeleteतो फिर किसका दोष है, सुब्रमण्यम भाई...?
ReplyDeleteवाह वाह
ReplyDelete