सोमवार को शरारती सार्थक का इम्तिहान था, सो, रविवार की रात उसके पिता उसके कमरे में देखने गए कि उसकी तैयारी कैसी चल रही है, और वह क्या कर रहा है...
कमरे में घुसने पर उन्होंने सार्थक को एक सिक्का हाथ में लेकर उछालने की तैयारी करते पाया...
उन्होंने हैरान होते हुए पूछा, "बेटे, कल तुम्हारा इम्तिहान है, और तुम खेल में लगे हुए हो... यह क्या कर रहे हो..."
सार्थक ने जवाब दिया, "खेल नहीं रहा हूं, पापा... सिक्का उछालकर देख रहा हूं कि मुझे अब भी पढ़ाई करनी चाहिए, या कुछ और..."
पिता ने खुश होते हुए पूछा, "इसका मतलब हुआ कि तुम आधी रात को भी पढ़ाई के मूड में हो...?"
सार्थक ने हमेशा की तपाक से जवाब दिया, "जी पापा, बिल्कुल... हैड आया तो सो जाऊंगा, टेल आया तो पूरी रात कार्टून फिल्में देखूंगा, अगर सिक्का खड़ा रहा तो गाने सुनता रहूंगा, और अगर सिक्का हवा में रह गया, तो आपकी कसम, सारी रात सिर्फ पढ़ाई करूंगा..."
चुटकुला ऐसी संज्ञा है, जिससे कोई भी अपरिचित नहीं... हंसने-हंसाने के लिए दुनिया के हर कोने में इसका प्रयोग होता है... खुश रहना चाहता हूं, खुश रहना जानता हूं, सो, चुटकुले लिखने-पढ़ने और सुनने-सुनाने का शौकीन हूं... कुछ चुनिंदा चुटकुले, या हंसगुल्ले, आप लोगों के सामने हैं... सर्वलोकप्रिय श्रेणियों 'संता-बंता', 'नॉनवेज चुटकुले', 'पति-पत्नी' के अलावा कुछ बेहतरीन हास्य कविताएं और मेरी अपनी श्रेणी 'शरारती सार्थक' भी पढ़िए, और खुद को गुदगुदाइए...
Wednesday, October 20, 2010
शरारती सार्थक और इम्तिहान की रात...
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