10-वर्षीय सार्थक और उसके पड़ोस में रहने वाली 9-वर्षीय श्रुति को साथ-साथ खेलते हुए यह एहसास हो जाता है कि वे एक-दूसरे से बेहद प्यार करते हैं, और उन्हें शादी कर लेनी चाहिए...
सार्थक श्रुति के पिता के पास पहुंच जाता है, और हिम्मत जुटाकर कह डालता है, "शर्मा अंकल, मैं और आपकी बेटी श्रुति एक-दूसरे से प्यार करते हैं, और मैं आपसे शादी के लिए उसका हाथ मांगने आया हूं..."
शर्मा जी को नन्हे शरारती सार्थक की हरकत बेहद प्यारी लगती है, और वह डांटने के बजाए मुस्कुराते हुए सार्थक से पूछते हैं, "यार, तुम अभी सिर्फ 10 साल के हो, और तुम्हारे पास घर भी नहीं है... तुम और श्रुति रहोगे कहां...?"
सार्थक तपाक से कहता है, "श्रुति के कमरे में, क्योंकि वह मेरे कमरे से बड़ा है, और वहां हम दोनों के लिए ज़्यादा जगह है..."
शर्मा जी को अब भी सार्थक की इस मासूमियत पर प्यार आता है, और वह फिर पूछते हैं, "ठीक है... लेकिन तुम लोग गुज़ारा कैसे चलाओगे... आखिर इस उम्र में तुम्हें नौकरी तो मिल नहीं सकती...?"
सार्थक फिर बहुत शांत स्वर में जवाब देता है, "हमारा जेबखर्च है न... उसे 50 रुपये प्रति सप्ताह मिलता है, और मुझे 100 रुपये प्रति सप्ताह... इस हिसाब से हम दोनों के लगभग 600 रुपये हर महीने मिल जाता है, जो हमारी ज़रूरतों के लिए काफी रहेगा..."
शर्मा जी इस बात से भौंचक्के रह जाते हैं, कि सार्थक ने इस विषय पर इतनी गंभीरता से, और इतनी आगे तक सोच रखा है...
सो, वह सोचने लगते हैं कि ऐसा क्या कहें कि सार्थक को जवाब न सूझे, और उसे इस उम्र में श्रुति से शादी न करने के लिए समझाया जा सके...
कुछ देर बाद वह फिर मुस्कुराते हुए सार्थक से सवाल करते हैं, "यह बहुत अच्छी बात है, बेटे, कि तुमने इतनी अच्छी तरह सब प्लान किया हुआ है, लेकिन यह बताओ, कि अगर तुम दोनों के बच्चे हो गए, तो क्या यह जेबखर्च कम नहीं पड़ेगा...?"
सार्थक ने इस बार भी तपाक से जवाब दिया, "अंकल, हम बेवकूफ नहीं हैं... जब आज तक नहीं होने दिया, तो आगे भी रोक ही लेंगे..."
चुटकुला ऐसी संज्ञा है, जिससे कोई भी अपरिचित नहीं... हंसने-हंसाने के लिए दुनिया के हर कोने में इसका प्रयोग होता है... खुश रहना चाहता हूं, खुश रहना जानता हूं, सो, चुटकुले लिखने-पढ़ने और सुनने-सुनाने का शौकीन हूं... कुछ चुनिंदा चुटकुले, या हंसगुल्ले, आप लोगों के सामने हैं... सर्वलोकप्रिय श्रेणियों 'संता-बंता', 'नॉनवेज चुटकुले', 'पति-पत्नी' के अलावा कुछ बेहतरीन हास्य कविताएं और मेरी अपनी श्रेणी 'शरारती सार्थक' भी पढ़िए, और खुद को गुदगुदाइए...
Monday, January 04, 2010
सार्थक गया गर्लफ्रेंड का हाथ मांगने...
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इतने चालू होते हैं बच्चे?
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