Friday, September 17, 2010

शरारती सार्थक का इम्तिहान...

इम्तिहान देने के लिए जाते हुए शरारती सार्थक को उसके पिता ने चेतावनी दी, "जितने सवालों के गलत जवाब देकर आएगा, उतने ही तमाचे तुझे मारूंगा..."

सार्थक ने सिर झुकाकर जवाब दिया, "जी, पापा, समझ गया..."

दोपहर को जब सार्थक घर लौटा, पिता ने पूछा, "अब ईमानदारी से बता, कितने सवाल गलत हुए...?"

सार्थक ने जवाब दिया, "पापा, एक भी नहीं... दरअसल आपकी तमाचों वाली बात मेरे दिमाग में घूमती रही, सो, एक भी जवाब गलत नहीं दिया..."

पिता ने खुश होते हुए फिर पूछा, "यानि 100 फीसदी पेपर सही...?"'

सार्थक तपाक से बोला, "नहीं, 100 फीसदी पेपर छोड़कर आया हूं..."

8 comments:

  1. अब लगाओ खुद के तमाचे। बढिया है नहले पे दहला।

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  2. अजीत जी, ऐसी संतानें होंगी तो यही करना होगा, कर रहे हैं... :-(

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  3. बढ़िया लिखा है ..... जब तमाचे का दर दिखाओगे तो पेपर तो १०० % छुटेगा ही .............

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  4. निरंजन जी, रजनीश जी, अध्ययन जी... तारीफी अल्फ़ाज़ के लिए शुक्रिया... :-)

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  5. सचमुच आपका बेटा ऐसा ही है क्या?

    अगर ऐसा है तो आपका परमात्मा ही रखवाला है।

    लेकिन एक बात जरूर कहूंगा, आपकी कैटेगरी 'शरारती सार्थक' वाकई बेजोड़ है, दोस्त :-)

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  6. अरे नहीं, अध्ययन भाई, वह अभी सिर्फ पांच साल का है... लेकिन सचमुच चाहता हूं कि होशियार हो... बाकी ऊपर वाले की इच्छा...

    और हां, प्रशंसा के शब्दों के लिए धन्यवाद... :-)

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