इम्तिहान देने के लिए जाते हुए शरारती सार्थक को उसके पिता ने चेतावनी दी, "जितने सवालों के गलत जवाब देकर आएगा, उतने ही तमाचे तुझे मारूंगा..."
सार्थक ने सिर झुकाकर जवाब दिया, "जी, पापा, समझ गया..."
दोपहर को जब सार्थक घर लौटा, पिता ने पूछा, "अब ईमानदारी से बता, कितने सवाल गलत हुए...?"
सार्थक ने जवाब दिया, "पापा, एक भी नहीं... दरअसल आपकी तमाचों वाली बात मेरे दिमाग में घूमती रही, सो, एक भी जवाब गलत नहीं दिया..."
पिता ने खुश होते हुए फिर पूछा, "यानि 100 फीसदी पेपर सही...?"'
सार्थक तपाक से बोला, "नहीं, 100 फीसदी पेपर छोड़कर आया हूं..."
अब लगाओ खुद के तमाचे। बढिया है नहले पे दहला।
ReplyDeleteअजीत जी, ऐसी संतानें होंगी तो यही करना होगा, कर रहे हैं... :-(
ReplyDelete:)
ReplyDeleteबढ़िया लिखा है ..... जब तमाचे का दर दिखाओगे तो पेपर तो १०० % छुटेगा ही .............
ReplyDeleteमस्त है भाई।
ReplyDeleteनिरंजन जी, रजनीश जी, अध्ययन जी... तारीफी अल्फ़ाज़ के लिए शुक्रिया... :-)
ReplyDeleteसचमुच आपका बेटा ऐसा ही है क्या?
ReplyDeleteअगर ऐसा है तो आपका परमात्मा ही रखवाला है।
लेकिन एक बात जरूर कहूंगा, आपकी कैटेगरी 'शरारती सार्थक' वाकई बेजोड़ है, दोस्त :-)
अरे नहीं, अध्ययन भाई, वह अभी सिर्फ पांच साल का है... लेकिन सचमुच चाहता हूं कि होशियार हो... बाकी ऊपर वाले की इच्छा...
ReplyDeleteऔर हां, प्रशंसा के शब्दों के लिए धन्यवाद... :-)